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एटा के जैथरा थाने में पकड़ा गया दुर्घटना करने वाला ट्रैक्टर तत्कालीन थानाध्यक्ष ने बदल दिया। उसे कार्रवाई से बचाने के मामले में तत्कालीन एएसपी और सीओ को डीआईजी अलीगढ़ की जांच में दोषी पाया गया है। उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए एडीजी आगरा जोन को संस्तुति भेजी गई है। तत्कालीन एसएसपी को भी चेतावनी दिए जाने की संस्तुति की गई है।
मामला 2016 का है। थाने से ट्रैक्टर को बदलकर दूसरे ट्रैक्टर को दाखिल कर दिया गया था। इसकी रिपोर्ट न्यायालय में भेज दी गई। शिकायत पर तत्कालीन एसएसपी ने मामले की जांच तत्कालीन सीओ अलीगंज से कराई। जांच में फर्जीवाड़ा कर ट्रैक्टर बदलने की पुष्टि हुई। सीओ ने 17 जून 2017 को अपनी रिपोर्ट एसएसपी को दे दी। इसके बावजूद दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई।
वादी ने उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
मुकदमे के वादी दिनेश कुमार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस पर सीओ ने एएसपी (क्राइम) को पत्र भेजकर दोषी एसओ, एचसीपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति मांगी। इधर एएसपी ने अनुमति प्रदान नहीं की और न ही पत्र की जानकारी एसएसपी को दी। इसकी शिकायत दिनेश ने डीजीपी से की। उन्होंने डीआईजी (अलीगढ़) को जांच सौंपी।
जांच कर डीआईजी ने उच्चाधिकारियों को भेजी रिपोर्ट में माना है कि इस अभियोग की निष्पक्ष एवं सही तथ्यों के आधार पर विवेचना न कराए जाने के लिए तत्कालीन सीओ आशाराम अहिरवार, तत्कालीन एएसपी अपराध ओपी सिंह शिथिल पर्यवेक्षण के दोषी पाए गए हैं।
तत्कालीन एसएसपी सुनील कुमार सिंह को भी भविष्य में सचेत रहने के लिए चेतावनी देना उपयुक्त होगा। अपर पुलिस अधीक्षक धनंजय सिंह कुशवाहा ने बताया कि मामला काफी पुराना है। इसमें जोनल और और शासन स्तर से जांच व कार्रवाई चल रही है। स्थानीय स्तर पर कोई निर्देश मिलते हैं तो पालन कराया जाएगा।
यह था मामला
जैथरा के गांव नगला कड्डी निवासी दिनेश कुमार ने शासन में एक शिकायत की थी। बताया कि 19 फरवरी 2016 को उनकी 12 वर्षीय पुत्री प्रियंका को एक ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने ट्रैक्टर को जब्त कर थाने में खड़ा करा लिया। आरोप है कि 40 दिन बाद विवेचना के दौरान उसके नाम से एक फर्जी प्रार्थना पत्र बनाकर तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे व हैंड कांस्टेबल सीपी सिंह ने आरोपियों से मिलकर ट्रैक्टर को बदल दिया।
तत्कालीन एसओ, विवेचक दर्ज पर दर्ज हो चुकी रिपोर्ट
ट्रैक्टर बदलने के फर्जीवाडे़ की जांच में पुष्टि होने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज न होने पर दिनेश ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जांच में सबूतों के आधार पर अपराध शाखा में तैनात निरीक्षक नरेश सिंह ने तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे और विवेचक चंद्रपाल सिंह के विरुद्ध थाना जैथरा में 19 जनवरी 2022 को रिपोर्ट दर्ज करा चुके हैं।
पांच महीने बाद दी जानकारी
डीआईजी ने जांच के बाद मार्च में ही अपनी रिपोर्ट कार्रवाई के लिए आगे भी बढ़ा दी। लेकिन शिकायतकर्ता को इसकी जानकारी ही नहीं दी गई। वह बार-बार अधिकारियों के पास कार्रवाई की जानकारी के लिए चक्कर काटता रहा। बाद में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सवाल डाला। इस पर 29 अगस्त को उसे सूचना उपलब्ध कराई गई है।
विस्तार
एटा के जैथरा थाने में पकड़ा गया दुर्घटना करने वाला ट्रैक्टर तत्कालीन थानाध्यक्ष ने बदल दिया। उसे कार्रवाई से बचाने के मामले में तत्कालीन एएसपी और सीओ को डीआईजी अलीगढ़ की जांच में दोषी पाया गया है। उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए एडीजी आगरा जोन को संस्तुति भेजी गई है। तत्कालीन एसएसपी को भी चेतावनी दिए जाने की संस्तुति की गई है।
मामला 2016 का है। थाने से ट्रैक्टर को बदलकर दूसरे ट्रैक्टर को दाखिल कर दिया गया था। इसकी रिपोर्ट न्यायालय में भेज दी गई। शिकायत पर तत्कालीन एसएसपी ने मामले की जांच तत्कालीन सीओ अलीगंज से कराई। जांच में फर्जीवाड़ा कर ट्रैक्टर बदलने की पुष्टि हुई। सीओ ने 17 जून 2017 को अपनी रिपोर्ट एसएसपी को दे दी। इसके बावजूद दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई।
वादी ने उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
मुकदमे के वादी दिनेश कुमार ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। इस पर सीओ ने एएसपी (क्राइम) को पत्र भेजकर दोषी एसओ, एचसीपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति मांगी। इधर एएसपी ने अनुमति प्रदान नहीं की और न ही पत्र की जानकारी एसएसपी को दी। इसकी शिकायत दिनेश ने डीजीपी से की। उन्होंने डीआईजी (अलीगढ़) को जांच सौंपी।
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