गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती ने निषेधाज्ञा के उल्लंघन और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के मामले में सोमवार को यहां एक अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
अदालत ने नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को वापस ले लिया है और निर्देश दिया है कि उन्हें 20-20 हजार रुपये की दो जमानत देकर जमानत पर रिहा किया जा सकता है और सुनवाई की अगली तारीख 18 अक्टूबर तय की गई है।
विशेष सांसद/विधायक अदालत के न्यायाधीश मयंक जायसवाल ने फिर से तीन अन्य आरोपियों- रविंदर, मिंटू और शिवकुमार- के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया और पुलिस से उन्हें इसके सामने पेश करने को कहा।
इससे पहले नरसिंहानंद सरस्वती के वकील ने अदालत में एक अर्जी दाखिल कर उनके खिलाफ जारी वारंट को वापस लेने की प्रार्थना की थी।
अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह के अनुसार, केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, यूपी के मंत्री कपिल देव अग्रवाल, विहिप नेता साध्वी प्राची और नरसिंहानंद सरस्वती सहित 21 आरोपी कथित तौर पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
आरोप है कि उन्होंने नगला मडोर गांव में एक पंचायत बैठक में हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने 31 अगस्त, 2013 को अपने भाषणों के माध्यम से निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया और हिंसा को उकसाया।
जिले और आसपास के इलाकों में दंगों के दौरान साठ लोग मारे गए और 40,000 से अधिक विस्थापित हुए।
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