अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गेंद चमकाने के लिए लार या थूक के इस्तेमाल पर फिलहाल रोक लगा दी है। सचिन तेंदुलकर और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने इसका समर्थन किया। सचिन के मुताबिक, गेंद चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर रोक सही है, लेकिन टेस्ट में हर 50 या 55 ओवर के बाद नई गेंद लानी चाहिए। यह गेंदबाजों के लिए जरूरी है। बता दें कि टेस्ट क्रिकेट में फिलहाल 80 ओवर बाद गेंदबाजी कर रही टीम नई गेंद ले सकती है।
सचिन और ब्रेट ली ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 100 एमबी पर बातचीत की। तेंदुलकर ने कहा, ‘‘यदि अचानक टेस्ट क्रिकेट में इतना बदलाव आ जाएगा, तो इससे खेल का स्तर गिर जाएगा। यह काफी धीमा हो जाएगा। बल्लेबाज समझ जाएगा कि अगर वह गलत शॉट नहीं खेलता तो उसे आउट नहीं किया जा सकता। जबकि गेंदबाज को पता होगा कि उसके पास इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं है।’’
आर्टिफिशियल पदार्थ का इस्तेमाल होना चाहिए
सचिन ने कहा, ‘‘टेस्ट में 50 या 55 ओवर बाद नई गेंद ली जा सकती है। इससे खेल में काफी बदलाव आ सकते हैं। वनडे 50 ओवर का होता है। दोनों छोरों पर अलग-अलग गेंद इस्तेमाल होती हैं। यानी एक बॉल से 25 ओवर का खेल होता है। टेस्ट में भी ऐसा किया जा सकता है।’’ सचिन ने कहा, ‘‘गेंद चमकाने के लिए किसी नए पदार्थ का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस पर सभी की सहमति होनी चाहिए। बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों ही खुश हो सकते हैं।’’
कई देशों में ठंड के कारण पसीना नहीं आता
सचिन ने इंग्लैंड और न्यूजीलैंड का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘टेस्ट क्रिकेट में आप लार का इस्तेमाल नहीं कर सकते। कई देशों में पसीना भी नहीं आएगा। ऐसे में काफी दिक्कत हो सकती है। क्योंकि पसीना आना वहां के मौसम पर निर्भर करता है। डे-नाइट मैच में तो यह सबसे ज्यादा होगा।’ गेंद चमकाने के लिए थूक या पसीने का इस्तेमाल किया जाता है। आईसीसी ने संक्रमण की आशंका खत्म करने के लिए थूक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। लेकिन, पसीने से बॉल शाइनिंग की जा सकती है। हालांकि, कुछ गेंदबाज मानते हैं कि पसीना उतना कारगर नहीं है जितना थूक या लार।
अंपायर गेंदबाजों के साथ नरम रुख अपनाएं
लार के प्रतिबंध पर ली ने कहा, ‘‘कई और भी तरीके हैं, जो गेंदबाजों की मदद कर सकते हैं। आईसीसी को इन पर गौर करना चाहिए। अंपायरों को गेंदबाजों के साथ नरम रुख अपनाना चाहिए। कोई कार्रवाई करने से पहले गेंद पर लार लगाने की स्थिति में गेंदबाज को 2 या 3 बार चेतावनी देनी चाहिए। मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि यदि खिलाड़ियों से कहा जाएगा कि ऐसा नहीं करना है तो वे जानबूझकर ऐसा नहीं करेंगे। लेकिन, मुझे लगता है कि आदत के कारण ऐसा हो सकता है।’’
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