मैं चाहता हूं कि कोई मुझसे समझदारी से और भरोसे के साथ बात करे, जैसा कि तुम कर सकती हो… मैं खुद पर से भरोसा खो रहा हूं… जिन मूल्यों को हमने पाला उनका क्या हुआ, क्या हो रहा है? हमारे महान विचार कहां हैं?’ ये पंक्तियां उस लेटर का हिस्सा हैं जिसे जवाहरलाल नेहरू ने अप्रैल 1948 में एडविना माउंटबेटन को भेजा था। बंटवारे के बाद सांप्रदायिक हिंसा और फिर महात्मा गांधी की हत्या के बाद बने उथल-पुथल भरे माहौल में जब देश को मजबूत नेतृत्व देकर देश को संभालने की जरूरत थी, प्रधानमंत्री नेहरू एडविना को लव लेटर लिखने में व्यस्त थे। पंडित नेहरू पर आरोप लगता रहा है कि वे देश से जुड़ी खुफियां जानकारियों को 1962 तक अंग्रेजों तक पहुंचाते थे। जिससे हमारे लिए सामरिक मोर्चे पर चुनौतियां पैदा हुईं, लेकिन अफसोस गांधी परिवार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। यही नहीं नेहरू ने कई अवसरों पर सुरक्षा मुद्दे के साथ समझौता भी किया। नेहरू पर सुरक्षा संधियों के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगता रहा है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि भारत के पास खुफिया जानकारी थी कि चीन 1959 से सीमा पर भारी सैन्य तैयारी कर रहा है। नेहरू के तत्कालीन खुफिया प्रमुख भोलानाथ मलिक ने सीमा पर चीन की हरकतों को लेकर सरकार को कई बार सतर्क किया था। लेकिन नेहरू ने इस पर विश्वास करने से मना कर दिया था और देश पर 1962 का युद्ध थोप दिया
Nationalism Always Empower People
More Stories
‘मोदी जी जाने वाले हैं…’: केजरीवाल का आरोप, बीजेपी के दिन अब गिनती के रह गए हैं |
ईरान के राष्ट्रपति हेलीकॉप्टर दुर्घटना लाइव अपडेट: हेलिकॉप्टर दुर्घटना में रायसी को मृत घोषित किया गया |
स्वाति मालीवाल हमला मामला लाइव: ‘घातक’ हमले से विभव की हिरासत तक – शीर्ष घटनाक्रम |