कोंडागांव जिले में नक्सल मोर्चे पर तैनात भारत तिब्बत सुरक्षा बल के जवान गश्त के दौरान अब वन्य जीवों की भी हिफाजत कर रहें हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार जंगल में घायल वन्यजीवों के मिलने पर उसे कैंप में लाते हैं। इलाज कराते हैं। इतना ही नहीं, भारत तिब्बत सुरक्षा बल कैंप के जवान शुरुआती गर्मी से ही प्यासे परिंदों की प्यास बुझाने में लगे हुए हैं। कैंप में वे तेल के टिन को काटकर उसे खास आकार देते हुए कई जगह लटकाए हुए हैं। इसमें पानी भरने के साथ ही पक्षियों के बैठने की भी जगह रहती है। मोर्चे पर जाने और वहां से लौटने के बाद जवान पुण्य के इस काम में जुट जाते हैं। जवानों के इस काम की ग्रामीणों के बीच खूब सराहना भी हो रही है। नक्सलगढ़ में भारत तिब्बत सुरक्षा बल के जवान वर्ष 2010 से तैनात हैं। गोलावंड में तैनात भारत तिब्बत सुरक्षा बल के असिस्टेंट कमांडर इरफान खान ने बताया कि घने जंगल में नक्सलियों की सर्चिंग के दौरान पक्षियों को पानी के लिए भटकते देखा तो मन में बड़ी पीड़ा हुई। सिपाही मैडिक्स, राहुल कुमार और उनके साथियों ने सर्चिंग से लौटने के बाद पक्षियों की पीड़ा दूर करने पर विचार शुरू किया। कैंप में ज्यादा संसाधन तो नहीं थे, पर खाद्य तेल के खाली पीपे जरूर पड़े थे। उन्हें छेनी से काटकर इस तरह का आकार दिया कि उसमें दाना-पानी रखा जा सके और पक्षी आराम से बैठकर भूख-प्यास बुझा सकें। जवान अब जंगल में जगह-जगह ऐसे कनस्तर टांग रहे हैं। सर्चिंग में जाते हैं तो कनस्तर साथ रखते हैं। जहां उपयुक्त पेड़ दिखता है, कनस्तर टांग देते हैं। वे कहते हैं कि हम बेहतर पर्यावास और इकोसिस्टम तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। टिन के कनस्तरों में गर्मी में पानी डालना पड़ेगा पर बरसात में यहां जलसंचय अपने आप हो जाएगा।
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