ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री आरोग्य मेले की शुरुआत की गई थी। लेकिन अब इसके नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है। रविवार को सादाबाद के कुरसंडा सीएचसी पर आयोजित स्वास्थ्य मेले में एक चिकित्सक, फार्मासिस्ट ने औपचारिकता पूरी कर दी।
देहात में स्थित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर नहीं है, जितने दावे स्वास्थ्य विभाग करता है। कुछ स्वास्थ्य केंद्रों पर लोगों को कागजों में ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है। ग्रामीण अंचल में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किए गए मुख्यमंत्री आरोग्य मेले भी महज औपचारिकता साबित हो रहे हैं।
कुरसंडा स्थित सीएचसी पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का आयोजन किया गया। इसमें आसपास गांव के लोग तो पहुंचे लेकिन उन्हें उपचार देने के लिए वहां महज एक चिकित्सक थे। स्वास्थ्य मेले में केवल एक चिकित्सक और फार्मेसिस्ट ने ही सारी औपचारिकताएं पूरी कर दी। मरीजों से लक्षण जानने के बाद उन्हें दवाओं का वितरण किया गया। किसी रोग से संबंधित कोई भी विशेषज्ञ मौजूद नहीं था और ना ही किसी मरीज को किसी प्रकार की जांच की सलाह दी गई। स्वास्थ्य मेले में 32 लोगों को उपचार दिया गया।
हाथ-पैर में दर्द की दवा लेने आई थी। डॉक्टर ने एक सीरप और कुछ दवाएं दी हैं। आश्वासन दिया है कि ठीक हो जाओगी। किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई। बिना जांच के ही दवा दी गई है। -कुंती देवी
सीएचसी पर दो ही कर्मचारी रहते हैं। लोगों को बिना जांच के दवाई दी जाती हैं। सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। फार्मासिस्ट ही पूरे अस्पताल को चला रहा है। इसकी शिकायत डीएम से की गई थी। – बनी सिंह पहलवान
सीएचसी पर लगने वाला स्वास्थ्य मेला केवल औपचारिकता है। इससे लोगों को कोई विशेष लाभ नहीं होता है। इस तरह की दवा तो आम दिनों में भी इस अस्पताल से उपलब्ध हो जाती हैं। कोई जांच नहीं होती। – दानवीर
सीएचसी कुरसंडा पर आरोग्य मेले का आयोजन हुआ था। वहां एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट की तैनाती है। यदि डॉक्टरों की किसी दिन ट्रेनिंग लग जाती है तो फार्मेसिस्ट पर ही अस्पताल की जिम्मेदारी रहती है। मरीजों को लक्षण के अनुसार दवाएं दी जाती हैं। टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि लैब टेक्नीशियन छुट्टी पर है। – प्रकाश चंद्र, एमओआईसी
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