लॉकडाउन के चलते 18 मार्च से बंद कमला नेह़रू प्राणी संग्रहालय जब खुलेगा तो उसमें तीन बड़े बदलाव नजर आएंगे। यहां प्राणियों के लिए ऐसे बाड़े बनाए जा रहे हैं जिनमें उन्हें सलाखों के परे नहीं बल्कि प्राकृतिक माहौल में देख सकेंगे, इन बाड़ों में तालाब, मचान व टीले भी बनाए जा रहे हैं। पिछले 91 दिनाें से बंद चिड़ियाघर को 2.5 करोड़ रुपए का नुकसार हो चुका है। 52 एकड़ क्षेत्र में फैले चिड़ियाघर में लॉकडाउन से पहले औसतन 6 हजार लोग प्रतिदिन आते थे।
व्हाइट टाइगर के लिए 6 हिस्सों में बंटा बाड़ा
अब व्हाइट टाइगर 6 बाय 6 के पिंजरे में नहीं, बल्कि कभी मचान पर अलसाते, कभी तालाब में तैरते तो कभी मिट्टी के टीलों पर खेलते देखे जा सकेंगे। 6350 स्क्वेयर मीटर में 1 करोड़ 72 लाख रुपए यहां बाड़ा बनाया जा रहा है। इस बाड़े में बाघों को जंगल जैसे माहौल में नेचरल एक्शन में देख सकेंगे। इसमें दो मचान, दो छोटे तालाब, दो फाउंटेन बन रहे हैं। अभी ज़ू में व्हाइट टाइगर नहीं हैं। विशाखापट्टनम व हैदराबाद ज़ू से तीन जोड़े लाए जाएंगे।
प्राकृतिक वातावरण में देख सकेंगे पक्षियों को
जो सुख कहीं पत्तों के झुरमुट में छिपे किसी रंग-बिरंगे पक्षी को अपने दूरबीन से देखने में है, वह केज में देखने में नहीं, इसलिए यहां एविएरी बना रहे है। इसमें आप पक्षियों को प्राकृतिक वातावरण में देख सकेंगे। ज़ू क्यूरेटर निहाल पारुलेकर ने बताया कि पेड़ों के बीच 200 फीट लंबा 100 फीट चौड़ा ट्रेक बन रहा है। वॉटरफॉल भी बनाए जा रहे हैं। 1 करोड़ 40 लाख रुपए से बन रहा है। 5 साल बाद इसे निगम को सौंप देंगे।
30 बंदरों के लिए 92 लाख रुपए से बन रहा मोट
ज़ू में 30-35 बंदर-लंगूरों अब तक छोटे से पिंजरे में ही उछलकूद करते दिखते थे। अब मंकी मोट बनाया जा रहा है। मोट यानी ऐसा क्षेत्र जिसकी बाउंड्री होगी पर सलाखें नहीं। 92 लाख रुपए से बन रहे इस मोट में 40 फीट गहरी खाई बनाई है जिसमें पानी होगा। बीच में पेड़ होंगे और बंदरों को अब इन पर देखा जा सकेगा।
व्हाइट टाइगर के केज का काम 70 फीसदी हो गया है। मंकी मोट और बर्ड वॉक थ्रू का काम भी आधा हो चुका है। विज़िटर्स के लिए ज़ू खोलने की अनुमति प्रशासन की ओर से अभी नहीं मिली है। संभावना बारिश के बाद की खोलने की है। गाइडलाइंस अभी बन रही हैं। – डॉ. उत्तम यादव, ज़ू प्रभारी
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