राष्ट्रपति बाइडेन ने कोशिश की कि किसी तरह दोनों देशों के बीच संवाद बना रहे, ताकि किसी गलत आकलन की वजह से कोई हादसे जैसी हालत ना बन जाए। लेकिन एक गुब्बारे उनकी मंशा पर पानी फेर दिया है।जब रिश्तों को बनावटी ढंग से गुब्बारे की तरह उड़ाने की कोशिश की जाए, उनके कभी भी पंक्चर हो जाने की स्थिति बनी रहती है। ऐसा ही अमेरिका और चीन के संदर्भ में हुआ है। अमेरिका में चीन विरोधी भावना इतनी गहरी और व्यापक हो चुकी है, वहां किसी राजनेता या सरकार के लिए उससे संवाद करने की पहल करना भी जोखिम भरा हो चुका है। इसके बावजूद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोशिश की कि किसी तरह दोनों देशों के बीच संवाद बना रहे, ताकि किसी गलत आकलन की वजह से कोई हादसे जैसी हालत ना बन जाए। जी-20 के पिछले शिखर सम्मेलन के समय दोनों देशों के राष्ट्रपति इंडोनेशिया के बाली में मिले। उसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के बीजिंग जाने का कार्यक्रम बना। लेकिन एक गुब्बारे की अमेरिकी हवाई क्षेत्र में मौजूदगी को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव इतना बढ़ा, कि ब्लिंकेन ने बीजिंग की अपनी प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी। उधर ब्लिंकन का दौरा स्थगित होने को चीन ने सार्वजनिक तौर पर कोई तवज्जो नहीं दी। चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि दरअसल अमेरिका और चीन ने कभी इस यात्रा के बारे में एलान ही नहीं किया था। अमेरिका ऐसी कोई घोषणा करे, तो यह उनका फैसला है।वैसे यह पहली बार नहीं है, जब चीन का गुब्बारा अमेरिका में दाखिल हुआ हो। ट्रंप प्रशासन के दौरान कम-से-कम तीन बार ऐसे बलून देखे गए थे। बाइडेन के कार्यकाल में भी पहले एक बार ऐसा बलून देखा जा चुका है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पहले कोई बलून इतने लंबे समय तक अमेरिकी क्षेत्र में मौजूद नहीं रहा। असल कहानी यह है कि बाइडेन प्रशासन इस बार भी गुब्बारे को ज्यादा तव्वजो देने के मूड में नहीं था। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी ने उस पर तीखे हमलों की बौछार कर दी। बाइडेन को चीन के आगे एक कमजोर राष्ट्रपति बताया गया। तो प्रतिक्रिया में बाइडेन प्रशासन ने मिसाइल से गुब्बारे को मार गिराने का आदेश दिया। इस तरह उन्होंने अपनी मजबूती का संदेश दिया। लेकिन इस घटनाक्रमर से साफ हो गया कि दोनों देशों में संवाद से संबंध सुधरने की अभी कोई संभावना नहीं है।
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