24 जून 1974 को लॉर्ड्स में 42 रनों पर ढेर हो गई थी टीम.. – Lok Shakti
November 1, 2024

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24 जून 1974 को लॉर्ड्स में 42 रनों पर ढेर हो गई थी टीम..

46 साल पहले आज ही के दिन (24 जून) इंग्लैंड दौरे के लॉर्ड्स में टेस्ट में फॉलो ऑन करते हुए भारतीय टीम 42 रनों पर सिमट गई थी. टेस्ट मैचों की एक पारी में सबसे कम स्कोर का उसका यह शर्मनाक रिकॉर्ड आज भी बरकरार है.

भारतीय टेस्ट इतिहास का यह अब तक का सबसे कम स्कोर

1974 में भारत का इंग्लैंड दौरा किसी बुरे सपने से कम नहीं था. उसी इंग्लैंड टूर ने अजीत वाडेकर के क्रिकेट को खत्म कर दिया. तीन लगातार टेस्ट सीरीज जीतने का कारनामा कर दोबारा इंग्लैंड पहुंचे कप्तान वाडेकर को न जाने किसकी नजर लग गई कि पूरी भारतीय टीम लड़खड़ा गई. 46 साल पहले आज ही के दिन (24 जून) इंग्लैंड दौरे के लॉर्ड्स में टेस्ट में फॉलो ऑन करते हुए भारतीय टीम 42 रनों पर सिमट गई थी. टेस्ट मैचों की एक पारी में सबसे कम स्कोर का उसका यह शर्मनाक रिकॉर्ड आज भी बरकरार है.

भारतीय टीम इससे पहले दो बार 58 रनों पर ढेर हुई थी- पहली बार 1947 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में और इसी स्कोर पर 5 साल बाद 1952 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में. वैसे टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में सबसे कम स्कोर पर आउट होने का अनचाहा रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के नाम है. इंग्लैंड ने उसे 1955 के ऑकलैंड टेस्ट में महज 26 रनों पर ढेर कर दिया था. कम स्कोर की बात करें, तो दक्षिण अफ्रीका- 30 (दो बार), 35, 36, ऑस्ट्रेलिया- 36, आयरलैंड- 38, न्यूजीलैंड- 42, ऑस्ट्रेलिया- 42 और भारत- 42 रनों पर सिमट चुका है.

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कप्तान अजीत वाडेकर

दरअसल, अजीत वाडेकर 1971-73 के दौरान तीन लगातार टेस्ट सीरीज जीतने वाले भारत के पहले कप्तान के तौर पर एक बार फिर इंग्लैंड दौरे पर थे. उन्होंने इससे पहले वेस्टइंडीज को उसकी धरती पर 1970-71 में 1-0 (5) से, इंग्लैंड को उसकी सरजमीं पर 1971 में 1-0 (3) से और भारत दौरे पर इंग्लैंड को 1972-73 में 2-1(5) से हराया था.

यानी वाडेकर ने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की धरती पर भारत को पहली सीरीज जीत दिलाई थी. लेकिन उनकी पिछली सफलताओं पर पानी फिर गया. इंग्लैंड की धरती पर तीन टेस्ट मैच की सीरीज में भारत का 0-3 से सफाया हो गया था.

लॉर्ड्स टेस्ट: भारतीय बल्लेबाजों ने किया सरेंडर

दौरे का पहला टेस्ट ओल्ड ट्रेफर्ड, मैनचेस्टर में खेला गया. भारतीय टीम यह मैच 113 रनों से हार गई. टीम अपनी लय खो चुकी थी. दूसरा टेस्ट लॉर्ड्स में खेला गया. टीम का टॉस गंवाना महंगा साबित हुआ. इंग्लैंड ने पहले खेलते हुए 629 रन बना डाले. बिशन सिंह बेदी ने 6 विकेट जरूर निकाले, लेकिन 64.2 ओवरों में 226 रन लुटाकर.

जवाब में सुनील गावस्कर और फारुख इंजीनियर की सलामी जोड़ी ने भारत को बेहतर शुरुआत दी. दोनों ने 131 रन जोड़े थे. लेकिन इसके बाद टीम ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवाए. अच्छी शुरुआत के बावजूद भारतीय टीम अपनी पहली पारी में 302 रनों पर सिमट गई. मेजबान टीम को 327 रनों का बड़ी बढ़त हासिल हो गई.

इसके बाद फॉलोऑन पारी खेलते हुए भारतीय टीम महज 17 ओवर ही खेल पाई और 42 रनों पर लुढ़क गई. इंग्लैंड के दाएं हाथ के गेंदबाज ज्योफ अर्नोल्ड ने 4 (19 रन देकर) ओर क्रिस ओल्ड ने 5 (21 रन देकर) विकेट झटके थे. अर्नोल्ड को अंतिम समय में टीम में जगह दी गई थी. दरअसल, बॉब विलिस पीठ की चोट वजह से अंतिम 11 से बाहर हो गए थे.

भारतीय बल्लेबाजों ने फॉलो ऑन पारी में पूरी तरह सरेंडर कर दिया. सुनील गावस्कर (5), फारुख इंजीनियर (0), कप्तान वाडेकर (3), गुंडप्पा विश्वनाथ (5), ब्रिजेश पटेल (1) जैसे धुरंधर कुछ नहीं कर पाए. एकनाथ सोलकर (नाबाद 18 रन) ही एकमात्र भारतीय बल्लेबाज थे, जो दहाई का आंकड़ा छू पाए. इंग्लैंड ने पारी और 285 रनों से बाजी मारी.

इसके बाद भारतीय टीम (165 और 216 रन) एक बार फिर इंग्लैंड की चुनौती झेल नहीं पाई और बर्मिंघम टेस्ट पारी और 78 रनों से गंवाई. मजे की बात है कि मेजबान इंग्लैंड के इस टेस्ट में सिर्फ दो विकेट (459/2d) गिरे. इस तरह भारत का टेस्ट सीरीज में 0-3 से सफाया हो गया.

कप्तान वाडेकर ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया

भारतीय टीम के इस दयनीय प्रदर्शन से टीम में बिखर गई. खबर तो ये आई कि टीम के सीनियर खिलाड़ियों और कप्तान में दरार पड़ चुकी थी. उधर, इस हार से भारतीय प्रशंसक बेहद नाराज हुए, यहां तक कि कप्तान वाडेकर के घर पर पत्थर भी फेंके गए. आखिरकार भारत लौटते ही वाडेकर ने क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी, जब उन्हें पता चला कि उनसे वेस्ट जोन की कप्तानी छीन ली गई है.