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November 1, 2024

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, कांग्रेस बोली- दिमाग में भरे गोबर को बेचेंछत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा- गोबर को राजकीय चिन्ह बना दें

प्रदेश में गोबर पर सियासी तेवर देखने को मिल रहे हैं। पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता अजय चंद्राकर के एक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद असल हंगामा शुरू हुआ है। अजय चंद्राकर ने ट्विटर और फेसबुक पर लिखा कि- छत्तीसगढ़ के वर्तमान राजकीय चिन्ह को नरवा, गरवा, घुरवा, बारी की अपार सफलता और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में “गोबर” के महत्व को देखते हुए इसे राजकीय प्रतीक चिन्ह बना देना चाहिए। दरअसल एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने ग्रामीणों से गोबर खरीदने का एलान किया था। सरकार का दावा है कि इससे खाद बनेगी, लोगों की आय बढ़ेगी। अजय चंद्राकर की इस पोस्ट का अब लोग विरोध कर रहे हैं। आम लोगों ने इसे गलत बताया। फेसबुक पर चंद्राकर के कुछ समर्थक और भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी राजकीय चिन्ह और गोबर की इस तुलना को सही नहीं माना है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इसे रीट्वीट करते हुए लिखा है कि – आपकी सोच को देखकर लगता है कि सरकार की इस योजना से भाजपा के नेताओं को काफ़ी लाभ मिल सकता है, उठाना भी चाहिए। दिमाग़ में भरे गोबर को बेचें, आर्थिक लाभ पाएँ। कुछ अच्छी  चीजें भी दिमाग़ में घुसेंगी।छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतीक चिन्ह असल में राज्य की समूची पहचान लिए हुए है। इस चिन्ह में के बीचो-बीच  भारत का प्रतीक अशोक स्तम्भ जिसमें तीन शेर दिखते हैं , आदर्श वाक्य – सत्य मेव जयते लिखा है। चारों तरफ घेरा बना है इसमें 36 किलों  (गढ़ों ) को दिखाया गया है। राज्य की प्रमुख फसल धान की बालियां नीचे की तरफ हैं। चूंकि राज्य में ऊर्जा और खनिज के भंडार हैं, इसलिए उर्जा के प्रतीकों को भी रखा गया है। राष्ट्र ध्वज  के तीन रंगों से छत्तीसगढ़ की नदियों को दिखाती लहरे हैं।