छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का नाम यूं ही स्वच्छता के क्षेत्र में अव्वल नहीं है। यहां की महिलाओं ने शहर को स्वच्छता के क्षेत्र में अपने दम पर मुकाम पर पहुंचाया है। पूरी दुनिया के लिए कचरा परेशान है, पर इस शहर के लिए कचरा आय का जरिया है। शहर के 27 हजार घरों में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने के बाद 20 एसएलआरएम सेंटरों में इसकी छंटाई होती है। सूखे कचरे की छंटाई के बाद 155 प्रकार का कचरा निकलता है।
सूखा कचरा आमदनी का बड़ा जरिया बनता है और चार सालों में साढ़े छह करोड़ तक का कचरा इन महिलाओं ने नगर निगम अंबिकापुर के माध्यम से पंजीकृत कबाड़ियों को बिक्री की है। इसी सूखे कचरे से मिली राशि से साढ़े चार सौ महिलाओं को स्वच्छ अंबिकापुर मिशन फेडरेशन के माध्यम से छह हजार रुपये मानदेय का भुगतान हर माह किया जाता है।
शहर में हर घर से 50 रुपये व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से 100 रुपये यूजर चार्ज लिया जाता है। महिलाओं के डोर टू डोर कचरा संग्रहण के कारण ही शहर में अब डंपिंग यार्ड नहीं है। यहां का 40 वर्ष पुराना डंपिंग यार्ड खूबसूरत स्वच्छता चेतना पार्क बन चुका है। इन महिलाओं के आय-व्यय का लेखा-जोखा इन्हीं के फेडरेशन के माध्यम से होता है। नगर निगम आयुक्त हरेश मंडावी का कहना है कि महिलाओं की बदौलत ही अंबिकापुर का माडल पूरे प्रदेश के नगरीय निकायों में लागू है और देश के कई शहर के प्रतिनिधि इस माडल का अध्ययन करने आते हैं।अंबिकापुर शहर में पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सैन ने जनप्रतिनिधियों के सहयोग से इस स्वच्छता मिशन के काम को शुरू किया था। महिला आइएएस अधिकारी ने शहर की उन महिलाओं को जो कभी घर से बाहर नहीं निकली थीं, उन्हें बाहर निकाला और स्वयं सहायता समूह बनाकर एक बड़ा फेडरेशन भी तैयार कर दिया। सभी महिलाओं को कचरा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया और साजो-सामान के साथ कचरा प्रबंधन के काम में लगाया गया।
More Stories
आधी रात को सुपरस्टार पर हमला, पति की मौत
पुराने जमाने में राजपूत के खूनी खेल में, जूनियर ने चाकू से नौ बार वार कर युवा की ली जान, सामने आई थी ये वजह
दांते उत्सव महोत्सव कांड: आंख में संक्रमण वाले की बारात 17 हुई, तीन की रोशनी वापस आने पर संशय