स्वास्थ्य व्यवस्था की हाल बयां करती यह तस्वीर मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिला अस्पताल की है। यहां एक शख्स एक महीने से अस्पताल के फर्श पर अपनी पत्नी और मासूम बच्चे के साथ पड़ा हुआ है। अस्पताल प्रबंधन उसका ना तो इलाज करा पा रहा है और ना ही उसे घर भेजने का अबतक कोई प्रबंधन कर पाया है।
मरीज का नाम भगवान आदिवासी है। गैंगरीन के चलते उसका बायां पैर कट चुका है। लॉकडाउन के पहले उसका ऑपरेशन हुआ था, तब 15 दिन बाद उसे डॉक्टर ने जांच कराने के लिए बुलाया था। लॉकडाउन लगने की वजह से वह गया नहीं, फिर एंबुलेंस से एक महीने पहले पत्नी और बच्चे के साथ जिला अस्पताल शिवपुरी आया।
आपबीती:खाना देने वाले आते हैं, दो चार रोटी देकर चले जाते हैं
25 साल के भगवान आदिवासी भितरगवां के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि शिवपुरी अस्पताल आने के बाद पहले दिन डॉक्टर ने देखा और दूसरे दिन छुट्टी कर दी। घर जाने के लिए बसें भी नहीं चल रहीं। अस्पताल वालों ने भी कोई साधन की व्यवस्था नहीं कराई। इसलिए मजबूरी में अस्पताल में ही पड़े हैं। खाना बांटने वाले आते हैं तो दो-चार रोटी देकर चले जाते हैं। ठीक से भरपेट खाना नहीं मिलने से हालत पहले से ज्यादा कमजोर हो गई है। यदि घर पहुंच गए होते तो यह दुर्दशा नहीं होती। भगवान आदिवासी का कहना है कि जिस पैर का ऑपरेशन हुआ है, उसमें तकलीफ होती है। दूसरे पैर में भी गैगरीन होने लगा है।
पहले इलाज हो जाए, फिर घर चला जाऊंगा
भगवान आदिवासी अपनी बारी का इंतजार करते हुए कहते है कि, हालत पहले से ज्यादा खराब होती जा रही है। पहले उसका डॉक्टर इलाज करें, फिर उसे घर भिजवाया जाए। यदि बिना इलाज घर भेज दिया तो और ज्यादा कमजोर होकर मर जाऊंगा। गैंगरीन के चलते पत्नी-बच्चों के भरण-पोषण लायक नहीं बचा हूं।
इलाज कराएंगे, गाड़ी से घर भी भिजवाएंगे
शिवपुरी के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ पीके खरे ने मामला संज्ञान में आने के बाद कहा है कि शुक्रवार को पता लगाएंगे कि भगवान आदिवासी का ऑपरेशन किस डॉक्टर ने किया है। उसकी जांच कराकर हर संभव इलाज कराएंगे। उसे अस्पताल से गाड़ी कराकर घर तक भी पहुंचाएंगे।
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