मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि प्रदेशभर की अनाज मंडियों में जो गेहूं खुले में रखा हुए है उसे सुरक्षित स्थान पर रखवाने की तुरंत व्यवस्था की जाए। कोर्ट ने कहा कि गेहूं व अन्य अनाज का बारिश में भीगना चिंता का विषय है। अनाज को बचाने के हरसंभव प्रयास किए जाना चाहिए।
प्रदेश की मंडियों में बारिश से गेहूं भीगने को लेकर एक जनहित याचिका मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ दायर की गई थी। 22 जून 2020 को कोर्ट ने इसे सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस एससी शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव ने पैरवी की थी।
याचिका में उल्लेख किया था कि इस बार देश में सबसे ज्यादा गेहूं मध्यप्रदेश में हुआ है। लेकिन बारिश की वजह से हजारों क्विंटल गेहूं भीग गया। जनता से टैक्स के रूप में मिले पैसों से सरकार ने इसकी खरीदी की है। वहीं शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने पैरवी की थी। शासन की ओर से कोर्ट में कहा गया कि केवल सूचनाओं के आधार पर याचिका दायर की है। इसमें कोई आंकड़े नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने गेहूं के भंडारण, भीगने से बचाने के आदेशों के साथ याचिका निराकृृत कर दी।
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