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पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण, पलायन को मजबूर

तालाब-जलाशय सूखने से राज्य के हर हिस्से में जलस्तर नीचे चला गया है

Ranchi :   झारखंड में पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. जलस्रोतों के सूखने से राज्य के हर हिस्से में भूगर्भ जलस्तर नीचे चला गया है. ज्यादातर कुएं, तालाब और चापानल तो पहले ही जवाब दे चुके हैं. कहीं-कहीं डीप बोरिंग भी सूख गए हैं. राज्य में हल्की बारिश तो हो रही है, पर इससे भूगर्भ जलस्तर बढ़ेगा, इसकी संभावना कम ही है. ग्रामीण इलाकों में स्थिति दिनों दिन बुरी होती जा रही. बहरागोड़ा के कदमडीहा गांव के करीब 45 परिवार नाले का पानी छानकर पीने को मजबूर हैं. महिलाओं को पानी के लिए काफी दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है. कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा और लोग पलायन करने के मूड में हैं. पश्चमी सिंहभूम के मझगांव और चक्रधरपुर के ग्रामीण इलाकों में स्थिति कुछ ज्यादा खराब है. चुएं- नाले भी सूखने की कगार पर हैं. शुभम संदेश टीम ने विभिन्न जिलों से पानी की समस्या की जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट….

नाला का पानी छान कर पीते हैं कदमडीहा के 45 परिवार

ब हरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत पुरनापानी पंचायत के कदमडीहा गांव के 45 परिवार जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों की उपेक्षा के कारण भीषण गर्मी में पेयजल की त्रासदी झेल रहे हैं. ग्रामीण गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित नाला का पानी छान कर पीने के लिए अभिशप्त हैं. गांव में पेयजल के लिए दो कुएं हैं. गर्मी में दोनों कुएं सूख गये हैं. पेयजल का दूसरा कोई स्रोत नहीं है. एक भी चापाकल नहीं है और सोलर जलापूर्ति योजना भी स्थापित नहीं हुई है. जब गरमा धान की फसल की सिंचाई के लिए खेत में सैलो बोरिंग चलते थे, तब ग्रामीण वहीं से पेयजल लेते थे. अब सिंचाई का कार्य बंद हो गया है. इस कारण ग्रामीण नाला से पेयजल लाने के लिए बाध्य हो गए हैं. गांव में बने दो कुओं का जलस्तर नीचे जाने के कारण सूख गये हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब भीषण गर्मी पड़ेगी तब यह नाला भी सूख जाएगा. ऐसे में उन्हें पेयजल के लिए भटकना पड़ेगा. हो सकता है उन्हें दूसरी जगह पलायन करना पड़े.

हम पेयजल के लिए तरस रहे हैं : जानू हांसदा

नाला से पानी भर रही गांव की जानू हांसदा नामक महिला ने बताया कि हम पेयजल के लिए तरस रहे हैं. हमारी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है. ग्रामीण चुना मुर्मू, गणेश टुडू, शालखु हांसदा, भाजूड़ हांसदा, सोना हेम्ब्रम, जादू हांसदा ने कहा कि जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी हमें जल संकट से मुक्ति दिलाएं. पेयजल की व्यवस्था नहीं हुई तो हमें पलायन करना पड़ेगा. ग्रामीणों ने कहा कि नाला का पानी पीने से बीमारी भी फैल सकती है. पंचायत की मुखिया पानसरी हांसदा ने कहा कि उन्होंने पदाधिकारियों को कई बार इस गांव के जल संकट के बारे में अवगत कराया है, परंतु अभी तक इस दिशा में पहल नहीं हुई है.

सावधान रहें… हातमा में हो रही गंदे-कीड़े युक्त पानी की सप्लाई

 

रांची का हातमा सरना टोली वार्ड नंबर 02 में पड़ता है. यहां करीब 500 लोग रहते हैं. सरना टोली में 2 चपानल, एक डीप बोरिंग और एक सप्लाई पानी का कनेक्शन है. वैसे तो कांके डैंम से हातमा की दूरी करीब दो किलोमीटर है. यहां सड़क के दोनों ओर पानी की सप्लाई होती है,लेकिन नजदीक में रहने वाले लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है.वजह यह है कि दोनों चपानल वर्षो से खराब पड़े हैं. डीप बोरिंग भी 6-7 वर्षो से खराब हैं. अगर कोई इस मुहल्ले में मेहमान बनकर जाते हैं तो सप्लाई का पानी नहीं पीते.क्योंकि इस मुहल्ले में सप्लाई का पानी बहुत गंदा है और उसमें कीड़े निकलते हैं.मुहल्ले के लोगों कहते हैं कि हमें पानी के लिए तरसना पड़ता है. पीने का पानी हमें दूसरों के घरों से मांगना पड़ता है.आसपास के लोग आज भी कुएं का ही पानी पी रहे हैं.अगर तेज गर्मी के कारण कुएं का पानी सूख जाता है,तो दूसरा विकल्प यह है कि लोग पानी खरीदकर पीते हैं.

स्थानीय ग्रामीण अनिता देवी ने बताया कि इस मुहल्ला में न पानी है और न ही शौचालय है.शौच के लिए आज भी लोग खेत का इस्तेमाल करते हैं. महिलाओं के लिए यह स्थिति काफी चिंताजनक है.बस्ती के कृष्णा लिंडा ने बताया कि पीने के लिए जार और कुएं के पानी का उपयोग किया जाता है.हालांकि कुएं का पानी देने के लिए लोग आना कानी करते हैं.ऐसी स्थित में पानी खरीदकर पीना पड़ता है. वहीं कपड़ा धोने के लिए हातमा तालाब में जाना पड़ता है .वहां भी पानी काफी गंदा है. पानी में काई भरी रहती है.छोटे-छोटे कीड़े पानी में तैरते नजर आते हैं. पानी की किल्लत की वजह से मजबूरी में लोग वहां के पानी का उपयोग कर रहे हैं. इससे गंभीर बीमारी की आशंका बनी रहती है. क्योंकि इसके अलावा अन्य विकल्प नहीं है.

बानपुर में सोलर जलमीनार सिर्फ शो-पीस

नगर पंचायत क्षेत्र के बानुपर इलाके के खरवार टोला में कुल दो सोलर आधारित जलमीनार लगाई गई थी. लेकिन आज के समय में दोनों जलमीनार हाथी के दांत साबित हो रही हैं. दोनों जलमीनारों में बोरिंग से पानी नहीं चढ़ता है. इस कारण यह शोभा की वस्तु बनकर रह गई है. खरवार टोला में लगभग एक सौ घर हैं और इसकी आबादी करीब पांच सौ की है. आज इन लोगों की प्यास टोले में लगे एक मात्र चापाकल से बुझ रही है. लेकिन पड़ रही प्रचंड गरमी और बारिश नहीं होने के कारण जल स्तर काफी नीचे चला गया है. इस कारण कई बार हैंडल करने के बाद पानी आ रहा है. चापाकल में पानी भर रही रिंकी कुमारी और अंजलि कुमारी ने बताया कि पानी बहुत नीचे चला गया है. इस कारण शुरू में कई बार हैंडल करना पड़ता है, उसके बाद पानी निकलता है. लेकिन एक-दो बाल्टी पानी के बाद फिर से जल स्तर नीचे चला जाता है, इसके बाद कुछ देर ठहर कर पानी निकलता है.

साल 2018-19 में स्थापित की गई थी जलमीनार

बानपुर के खरवार टोला में साल 2018-19 में दोनों जलमीनार लगाई गई थी. बताया जाता है कि पुराने चापाकल में ही सोलर जलमीनार को लगा देने के कारण आज दोनों जलमीनार में पानी नहीं चढ़ रहा है. जिला अनाबद्ध योजना से उक्त दोनों सोलर जलमीनार लगाई गई थी. गांव की पूनम कुमारी ने बताया कि उसके घर के पीछे की जलमीनार खराब पड़ी है, इस कारण उसे दूसरे टोले में जा कर पानी लाना पड़ता है.

नहीं पहुंची है पाइप लाइन

बानपुर का खरवार इलाका नगर पंचायत क्षेत्र में आता है. नगर पंचायत में 32 करोड़ रूपये खर्च कर शहरी जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन किया गया है. इसके तहत शहर के सभी 15 वार्डों में पाइप लाइन बिछाई गई है. शहर की तीन जलमीनार बनाई गई हैं, लेकिन आज तक बानपुर के खरवार इलाके में शहरी जलापूर्ति योजना के तहत पाइप लाइन नहीं बिछाई गई है, इस कारण आज भी लोग एक मात्र चापाकल के भरोसे हैं.

गर्मी में पेयजल की किल्लत गंभीर समस्या है : रैना पूर्ति

जमशेदपुर के परसुडीह के हलुदबनी निवासी रैना पूर्ति ने बताया कि गर्मी में पेयजल का इंतजाम करना एक बड़ी चुनौती है. घर का प्रत्येक सदस्य पानी के इंतजाम में जुटा रहता है. क्षेत्र में पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. इसके कारण लोगों को दूर से पानी लाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि परसुडीह एवं इससे सटे कुछ क्षेत्रों में जलापूर्ति योजना की पाइप नहीं बिछी है. इस कारण लोगों को पेयजल के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने जिला प्रशासन से पेयजल कनेक्शन से वंचित लोगों को जल्द से जल्द कनेक्शन प्रदान करने एवं जल मुहैया कराने की अपील की.

पानी के लिए ड्यूटी छोड़नी पड़ती है : किशन नामता

जमशेदपुर के हरहरगुट्टू काली मंदिर के समीप रहने वाले किशन नामता ने बताया कि वे ठेकेदारी में काम करते हैं. गर्मी के मौसम में पानी की काफी किल्लत हो जाती है. इसके कारण दूसरे मुहल्ले से पानी लाना पड़ता है. इसके लिए उन्हें कभी-कभी अपनी ड्यूटी छोड़नी पड़ती है. तब घर में चौका-बर्तन एवं अन्य जरूरी काम निपट पाते हैं. घाघीडीह जेल रोड स्थित पानी टंकी पर सुबह से ही काफी भीड़ रहती है. इसके कारण कभी-कभी उन्हें जुगसलाई नगरपालिका अथवा बर्मामाइंस पानी टंकी के पास सार्वजनिक नल से पानी लाना पड़ता है.

जलापूर्ति के लिए योजना नहीं हुई कारगर : रघुवीर यादव

बरही के कोल्हुआकला के पूर्व मुखिया सह प्रखंड 20 सूत्री सदस्य रघुवीर यादव ने बताया कि उनके पंचायत में जलस्रोत सूखने लगे हैं. एक जलमीनार है, जिसमें करीब दस घरों में नल जल योजना के तहत जलापूर्ति की गई थी, परंतु वह आज तक चालू नहीं हुई है. वर्तमान में नलकूप भी दम तोड़ने लगे हैं. डीप बोरिंग के लिए सर्वे किया गया है, परंतु यह सर्वे भी वैसे स्थान पर हुआ है, जहां पहले से बोरिंग फेल हो चुकी है. इसके लिए दूसरे स्थान का चयन करना ज्यादा अच्छा होगा.

रेलवे का रॉ वाटर इस्तेमाल करना पड़ता है : मालती तांती

जमशेदपुर के बागबेड़ा लाल बिल्डिंग के समीप रहने वाली मालती तांती ने बताया कि बागबेड़ा में रेलवे कॉलोनी में पानी की किल्लत नहीं है, लेकिन बस्ती में रहने वाले लोगों को पानी की काफी समस्या होती है. रेलवे की ओर से वायरलेस मैदान के पास एक सार्वजनिक नल लगाया गया है. वहां बिना फिल्टर किया हुआ पानी बहता है. इसका इस्तेमाल बस्तीवासी नहाने-धोने के लिए करते हैं. साथ ही उसी पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने बताया कि बस्ती के कुछ चापाकल ठीक हैं, जबकि अधिकांश खराब पड़े हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से खराब चापाकल की मरम्मत कराने की मांग की.

सरकारी स्तर से जलसंकट का समाधान नहीं : टेकलाल

बरही के पूर्व मुखिया टेकलाल यादव ने बताया कि राजस्व गांव वाले इस पंचायत में 8000 से भी अधिक जनसंख्या है. इस पंचायत में जलस्रोत पूर्णतः सूख गए हैं. सरकारी स्तर से कोई भी व्यवस्था नहीं की जा रही है. जनता पेयजल के लिए परेशान है. इस पंचायत में एक वृहत जल मीनार की आवश्यकता है. हर साल गर्मी में यहां पानी की समस्या खड़ी हो जाती है. इसका स्थाई समाधान होना जरुरी है.

दूसरे मुहल्ले से ढोकर लाना पड़ता है पानी : मीना पोडेल

जमशेदपुर के बागबेड़ा ट्रैफिक कॉलोनी से सटी बस्ती गांधीनगर की रहने वाली मीना पोडेल ने बताया कि बागबेड़ा के कुछ क्षेत्रों में पानी की काफी किल्लत है, जबकि दूसरे मोहल्ले में टैंकर से पानी की सप्लाई की जाती है. उन्होंने बताया कि उनके मोहल्ले में कभी-कभार ही पानी का टैंकर आता है. इसके कारण लोगों को दूसरे मुहल्ले से पानी लाकर अपना जरूरी काम निपटाना पड़ता है, क्योंकि बागबेड़ा जलापूर्ति योजना अभी तक शुरू नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि पानी का कनेक्शन उन्हें दे दिया गया है, लेकिन अभी तक जल की एक बूंद भी नहीं आई है. घर में पाइप बिछा दी गई है.

ग्रामीण कुएं और चापाकल पर ही निर्भर हैं : सुभाष उरांव

रामगढ़ के सुभाष उरांव कहते हैं कि हम लोग नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 21 आदिवासी बहुल क्षेत्र उरलुंग में रहते हैं . इस गांव में पानी के लिए कुएं और चापाकल ही दो मुख्य साधन हैं. लेकिन गर्मी के दिनों में कुएं का जलस्तर नीचे चला जाता है. चापाकलों की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है. यहां के ग्रामीण कुएं और चापाकल पर ही निर्भर हैं. इसके अलावा पास के दामोदर नदी का पानी भी इस्तेमाल करते है. गांव में एक बड़ी जल मीनार बनती और वहां से लोगों के घरों तक पानी मिलता तो पानी की समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती . इस पर पहल होनी चाहिए.

जलसंकट का स्थायी समाधान नहीं हो सका : सूरज पासवान

बरही के कोल्हुआकला के युवा समाजसेवी सूरज पासवान ने भी पानी की समस्या पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि गर्मी आते ही हर वर्ष यह समस्या सामने आती है. इस दिशा में अब तक कोई स्थाई समाधान नहीं किया गया है. इस पर जनप्रतिनिधि और प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है. इधर कुछ दिनों से पानी की समस्या और गहराती जा रही है. इस दिशा में शीघ्र कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और विकट हो जाएगी.

हमें खरीद कर पीना पड़ता है पानी: देवनाथ तिवारी

कतरास के खरखरी के देवनाथ तिवारी कहना है कि पानी की समस्या समस्या से छूटकारा नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि पहले यहां पानी की कोई समस्या नहीं होती थी. परंतु अब तो पानी भी खरीदकर पीना पड़ता है. प्रतिमाह एक मुश्त रकम पानी खरीदने में चला जाता है. पता नहीं कब तक हमें यह समस्या झेलनी पड़ेगी. सरकारी स्तर पर इस दिशा में प्रयास किए जाने की जरुरत है.

पानी बेचने वाला नहीं आए तो प्यासे मर जाएं : मालती देवी

कतरास के मालती देवी को लगता है यह समस्या कभी सुलझनेवाली नहीं. वह कहती हैं कि पानी की समस्या काफी गंभीर है. पानी बेचने वाला अगर इधर नहीं आये तो लोग प्यासे मर जाएंगे. सरकार कहती है कि 2024 तक घर घर पानी आ जाएगा. अब देखिये 2024 भी आने वाला है या नहीं. वह कहती है कि गर्मी में हर साल यह स्थिति रहती है. पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है.

निजी बोरिंग से मिल रहा सहयोग : केदार यादव

बरही के डीलर संघ के प्रखंड सचिव कोल्हुआकला के केदार यादव ने बताया कि पेयजल की समस्या बरकरार है. कुछ घरों में निजी डीप बोरिंग है, इससे गांव वालों को पानी में सहयोग मिल रहा है. मंदिर में सिर्फ एक जलमीनार है. लगभग सभी नलकूप सूख चुके हैं. न कोई देखनेवाला और न कोई सुननेवाला है. ऐसी स्थिति में समस्या जस की तस बनी हुई है. अगर इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई तो आने वाले दिनों में लोगों को पानी के लिए काफी परेशानी हो जाएगी.

खदानों का पानी भी मिल जाता तो काम चलता: लालपति

कतरास के उसी इलाके की लालपति देवी कहती हैं कि खरखरी, महेशपुर, सिनीडीह कोलियरी क्षेत्र होने के कारण पानी का लेयर दिनों दिन नीचे चला जा रहा है. कोलियरी प्रबंधन चाहे तो खदानों का पानी आसपास के क्षेत्रों में दे सकता है. परंतु कोलियरी प्रबंधन का सहयोग नहीं के बराबर है. इस वजह से यहां पानी की समस्या बनी हुई है.

पानी की समस्या से वार्ड के लोग परेशान हैं :सौरव मिश्र

देवघर वार्ड नंबर-4 के ही निवासी सौरभ मिश्र का कहना है कि पानी की समस्या से इस वार्ड के लोग परेशान हैं. वार्ड पार्षद सब कुछ जानने के बाद भी अनजान बने बैठे हैं. पानी खरीदकर लोग अपनी जरूरतों की पूर्ति करते कर रहे हैं..

जरुरत के मुताबिक पानी नहीं मिल रहा: प्रकाश यादव

देवघर के वार्ड नंबर-5 के निवासी प्रकाश यादव ने बताया कि भीषण गर्मी में लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही हैं. जरुरत के मुताबिक पानी नहीं मिल पा रहा है. इधर उधर से पानी लाकर काम चलाना पड़ता है.

गर्मी में पानी को लेकर बहुत परेशानी होती है : राजा खान

रामगढ़ के राजा खान कहते हैं कि गर्मी के दिनों में पानी को लेकर बहुत परेशानी होती है .वार्ड 23 के मुस्लिम मुहल्ला में जिस जगह हम रहते हैं, वहां एक चापाकल है. उसकी भी हालत जर्जर है .बहुत चलाने के बाद चापाकल से पानी निकलता है . पानी लेने के लिए दर्जनों लोग कतार में खड़े रहते हैं . कई लोगों को पानी के लिए दूसरे मोहल्ले में जाना पड़ंता है .गर्मी के दिनों में पानी के लिए मोहल्ला वासी परेशान रहते हैं . नगर परिषद क्षेत्र रहने के बावजूद भी यहां पानी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है . लोगों को पानी मिले, इसके लिए सरकार को ठोस पहल करनी चाहिए. ताकि लोगों को पानी मिले और उन्हें इधर-उधर न भटकना पड़े.

ग्रामीण इलाकों में पानी की घोर समस्या : नरेश प्रजापति

रामगढ़ के नरेश प्रजापति कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पानी की घोर समस्या रहती है . घर में कुआं है, जिसका इस्तेमाल सालों भर हम लोग करते हैं . लेकिन गर्मी के दिनों में जलस्तर नीचे हो जाने के कारण पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. पानी के लिए जार का पानी खरीद कर पी लेते हैं, लेकिन अन्य कार्यों के लिए पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. चापाकल की स्थिति भी अच्छी नहीं है. कई चापाकल तो जर्जर हो चुके हैं. सरकार को चाहिए कि इस समस्या की ओर विशेष ध्यान दे ताकि पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो. ग्रामीणो को इधर-उधर भटकना न पड़े.

पानी की समस्या पर नहीं दिया जा रहा ध्यान : रविन्द्र डांगिल

चक्रधरपुर के नलिता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य रविन्द्र डांगिल ने बताया कि पंचायत के हेसाडीह समेत अन्य गांवों में कई चापाकल खराब पड़े हुये हैं. पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा अपने स्तर से चापाकलों को ठीक कराया जा रहा है, लेकिन विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. कई स्थानों पर डीप बोरिंग करने की आवश्यकता है, ताकि गर्मी के मौसम में भी ग्रामीणों को सही तरीके से पानी मिल सके. इधर हाल के दिनों में गर्मी की वजह से जलस्तर काफी नीचे चला गया है. अगर अगले कुछ दिन में बारिश नहीं हुई तो जलस्तर में और गिरावट आएगी.

भीषण गर्मी में चुएं का पानी पीने को मजबूर : सुरेश सामड

चक्रधरपुर के हेसाडीह गांव के ग्रामीण सुरेश सामड ने कहा कि क्षेत्र के ग्रामीण भीषण गर्मी में चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं. चुआं का पानी पीने से बीमारियों का भी खतरा बना रहता है, लेकिन चापाकल से पानी नहीं निकल पाने के कारण ग्रामीण चुआं से पानी निकालकर इस्तेमाल करते हैं. अत्यधिक गर्मी पड़ने पर चुआं का पानी भी सूखने लगता है. इससे ग्रामीणों को पानी के लिए परेशानी उठानी पड़ती है. इस क्षेत्र में जलस्रोतों का बुरा हाल है. ज्यादातर तालाब और कुएं सूख गए हैं. लोगों को दूर से पानी लाकर घर का कामकाज करना पड़ता है. पानी की वजह से लोग दूसरे स्थान पर जाने लगे हैं.

हमें पहाड़ों पर चढ़कर लाना पड़ता है पानी : सुशीला मुंडा

चक्रधरपुर के हेसाडीह गांव की महिला सुशीला मुंडा ने बताया कि नलिता पंचायत के अधिकांश गांव पहाड़ों के बीच बसे हैं. खासकर बुरुनलिता, हेसाडीह गांव के ग्रामीणों को पहाड़ों पर चढ़कर चुएं से निकालकर पीने के लिए पानी लाना पड़ता है. वह कहती है कि नल-जल योजना के तहत हर घर को पीने का पानी मिलना चाहिए. इससे पानी की समस्या दूर होगी. इधर गर्मी की वजह से चापानल से पानी नहीं निकलता है. कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. पानी के लिए ग्रामीणों को दिनभर भटकना पड़ता है.जो पानी मिलता है वह भी पीने लायक नहीं रहता है. ग्रामीण उसे छानकर किसी तरह पीते हैं.

‘हमनी के घरे बाबू पानी के बड़ा दिक्क़त हौ’: हेमंती देवी

कतरास के हेमंती देवी ने अपनी भाषा में कहा ‘हमनी के घरे बाबू पानी के बड़ा दिक्क़त हौ’. दिन भर हमनी पानी ढोवत रहेइयो. सरकार पानी की समस्या दूर करें खातिर कुछ नाय करो हो. मुखिया लोग वोटवा लेकर घरे सुतल हौ. हेमंती देवी पानी को लेकर काफी परेशान है. कई चापाकल सूख चुके हैं. पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है. पानी की समस्या हल नहीं होने से वह काफी दुखी है.

जलस्तर नीचे जाने के कारण पानी नहीं मिल पा रहा : मनोज

देवघर वार्ड नंबर-4 के निवासी मनोज कुमार पंडित का कहना है कि गर्मी में धरती का जल स्तर नीचे चले जाने के कारण कुआं और चापाकल से पानी नहीं मिल पा रहा है. वार्ड में जल मीनार तैयार की गई है, लेकिन यह चालू अवस्था में नहीं है. मरम्मत कराने को लेकर वार्ड पार्षद से कई बार शिकायत की गई, लेकिन वे ध्यान नहीं देते हैं.इस वजह से पानी की समस्या यहां बनी हुई है.