- 01-Jul-2023
भोपाल,01 जुलाई । प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी कार्यालय यानि मंत्रालय कर्मचारी और अधिकारियों से आधा खाली हो गया है। यहां भृत्य से लेकर अपर सचिव तक करीब ढाई हजार पद हैं लेकिन इनमें डेढ़ हजार पद ही भरे हैं। आलम है कि यहां एक भी अतिरिक्त सचिव नहीं है। 14 में मात्र एक उपसचिव पदस्थ हैं। ऐसे में कर्मचारियों पर काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यहां तक आनंद और धर्मस्व जैसे विभाग के प्रमुख सचिव को सचिव और अपर सचिव के काम भी करने पड़ रहे हैं। सचिव को स्वयं नोटशीट लिखकर शाखा में भेजना पड़ रही है। कई सालों से भर्ती नहीं होने से कर्मचारी चिड़चिड़े होने लगे और कुछ ने तो वीआरएस भी ले लिया है। ज्यादा काम के चलत वीआरएस-जीएडी में पदस्थ रहे उप सचिव सीवी पड़वार ने वीआरएस ले लिया है। उनके पास जीएडी की कई शाखाओं का काम था। वे बताते हैं कि कई बार मंत्रालय में काम करते-करते रात हो जाती थी। उन्होंने कई बार वरिष्इ अफसरों से काम के बढ़ते बोझ की जानकारी दी थी। काम के बोझ के कारण ही अवर सचिव श्यामा धुर्वे ने वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया है। इसके पहले अनुभाग अधिकारी अशोक भारद्वाज और सहायक अनुभाग अधिकारी विनोद शुक्ला ने वीआरएस के लिए आवेदन दिया था। उद्योग विभाग की एक कर्मचारी ने काम के बोझ के चलते आत्महत्या कर ली। प्रदेश में पिछले सात साल से पदोन्नति नहीं हो रही है। इससे वरिष्ठ पदों पर जाने की इच्छा रखने वाले कर्मचारी और अधिकारी निराश हैं। जिन्हें अबतक उप सचिव बन जाना चाहिए था वे अवर सचिव बने हुए हैं। बताया जाता है कि निचले पदों पर भर्तियां हुई लेकिन उच्च पद खाली होते जा रहे हैं। ऐसे में अनुभाग अधिकारी दो-दो अनुभाग देख रहे हैं।
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