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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और वहां की मिलिट्री भारतीयों से 5जी टेक्नोलॉजी और ऐप्स के जरिए जुटाए गए डेटा का इस्तेमाल हथियार के तौर पर करती है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन स्पष्ट रूप से तकनीकी का इस्तेमाल भारत की जासूसी करने के लिए कर रहा है। दिल्ली में ‘डेटा एज ए वीपन: चायनीज इन्वेशन थ्रो मोबाइल ऐप्स’ विषय पर हुए वेबिनार में एक्सपर्ट्स ने चीन को लेकर यह चिंता जताई हैं।

एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि एशियाई क्षेत्र में चीन की ओर से इस असैन्य खतरे को रोकने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाना चाहिए। साथ ही देश की तकनीकी और निर्माण की क्षमताओं के विकास और उसे रफ्तार देने के लिए एक लंबी रणनीति बनानी चाहिए।

भारत ने हाल ही में 59 चीनी ऐप्स बैन किए हैं
यह वेबिनार दिल्ली में  शुक्रवार को न्यूज मैगजीन डिफेंस के हेडऑफिस में हुआ। इसमें रिटायर्ड टेलिकॉम सेक्रेटरी और नेस्कॉम के पूर्व अध्यक्ष आर चंद्रशेखर, डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता विनीत गोयनका और वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ जराबी शामिल हुए। यह वेबिनार ऐसे समय हुआ है, जब कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगाया है, साथ ही भारत में हो रहे निर्माण कार्यों में चीनी कंपनियों की साझेदारी पर रोक लगाई है।

सीसीटीवी कैमरों तक से डेटा चुराया जा रहा
गोयनका ने कहा कि चीन के 59 ऐप्स को बैन करना बहुत कम है। चीन ने तो भारत का काफी डेटा जुटा रखा है। वह भारतीयों की डिजिटल एक्टीविटीज को हासिल करके भारत के डिजिटल क्षेत्र को कब्जे में करना चाहता है। उन्होंने कहा चीन घरों में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए तक से डेटा चुरा रहा है। चीन में बने उपकरणों में लगे सेंसर सीधे चीन से कंट्रोल किए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह डेटा चीन और चीनी कंपनियों के मिलिट्री ऑपरेटर्स इस्तेमाल करते हैं। डेटा चुराने से चीन को यह पता लगाने में भी मदद मिलती है कि भारत में खरीदार को प्रभावित करने के लिए कितना सस्ता सामान बनाया जा सकता है, जिससे स्थानीय निर्माताओं का कारोबार खत्म किया जा सके।

डेटा से लोगों का व्यवहार बदला जा रहा
नेस्कॉम के पूर्व अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स डेटा का इस्तेमाल लोगों की राय को आगे बढ़ाने और इंसान के व्यवहार को बदलने के लिए भी किया जा रहा है। यह दुश्मन देश के हाथों में जनमत को प्रभावित करने का बहुत बड़ा हथियार है।

भारत अमेरिका की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाए
पत्रकार सिद्धार्थ जराबी का कहना है कि भारत अमेरिका को देखना चाहिए और राष्ट्रीय हित में उसकी तरह सुरक्षा कानून बनाना चाहिए। जराबी भारत की जननीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को दो दशक से ज्यादा समय से कवर कर रहे हैं।