इन्हीं पुलों के जरिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत-चीन में चल रहे टकराव के दौरान सेना के टैंकों को सीमा तक आसानी से पहुंचाने मदद मिली थी। बीआरओ के एक अधिकारी ने बताया कि हमने इन पुलों को एनएच-1 के केएम-397 पर तैयार किया है। इन्हें रिकॉर्ड 3 महीने में बनाया गया है।
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, सड़क निर्माण पर चीन के विरोध के बारे में पूछे जाने पर बीआरओ के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बी किशन ने कहा कि बीआरओ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें जो भी असाइनमेंट दिए जाते हैं, हमारा फोकस सिर्फ उन पर ही होता है।
प्रधानमंत्री ने 3 जुलाई को अचानक किया था लद्दाख का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अचानक लद्दाख का दौरा किया था। पोस्ट पर जवानों से मिले, उनका हौसला बढ़ाने के लिए स्पीच दी थी। इसके अलावा लेह के मिलिट्री अस्पताल में भी उन्होंने गलवान झड़प में घायल सैनिकों से मुलाकात की थी।
चीन की सेना सीमा से पीछे हटी
गलवान की झड़प के 20 दिन बाद चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर 2 किलोमीटर पीछे हट गया है। उसने टेंट और अस्थाई निर्माण हटा लिए हैं। हालांकि, गलवान के गहराई वाले इलाकों में चीन की बख्तरबंद गाड़ियां अब भी मौजूद हैं। लद्दाख में भारत-चीन के बीच 4 पॉइंट्स पर विवाद है। ये पॉइंट- पीपी-14 (गलवान रिवर वैली), पीपी-15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया हैं। भारतीय सेना सभी पॉइंट पर नजर रख रही है।
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