छत्तीसगढ़ में छोटे-बड़े 51 हजार से अधिक मंदिर हैं। इनमें राष्ट्रीय संरक्षित मंदिरों में सबसे अधिक मंदिर भगवान भोलेनाथ यानी शिव की है। कुल राष्ट्रीय संरक्षित मंदिरों की संख्या 39 है, जिनकी देखरेख केंद्रीय पुरातत्व विभाग करता है। इनमें सबसे अधिक 17 शिव मंदिर हैं। बाकी 22 मंदिरों में विष्णु, बुद्ध, दंतेश्वरी समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं। 39 संरक्षित मंदिरों में से विभिन्ना देवी-देवताओं के 19 ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जहां नियमित पूजा होती है, जिनमें आठ मंदिर शिवजी के हैं।
केंद्रीय पुरातत्व विभाग के रायपुर उप-मण्डल के अधिकारियों के अनुसार राष्ट्रीय संरक्षित मंदिर सातवीं से लेकर 16वीं शताब्दी तक के हैं। ये ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई मंदिर केवल पत्थरों और ईंटों से निर्मित हैं। पुरातत्व विभाग इनका संरक्षण और संवर्धन करता है। इन ऐतिहासिक मंदिरों को तत्कालीन राजाओं-महाराजाओं ने बनवाया, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं।
अडभार मंदिर अडभार (भग्न शिव मंदिर)- तहसील- शक्ति, जांजगीर-चांपा (सातवीं शताब्दी)
– महादेव मंदिर पाली – तहसील-पाली, कोरबा (आठवीं से नौवीं शताब्दी)
– पतालेश्वर महादेव मंदिर मल्हार – तहसील मस्तुरी, बिलासपुर (12वीं शताब्दी)
– महादेव मंदिर बस्तर – तहसील- बस्तर, जगदलपुर (12वीं शताब्दी)
– महादेव मंदिर नारायणपुर – तहसील- कसडोल, बलौदाबाजार (13वीं से 14वीं शताब्दी)
प्राचीन शिव मंदिर देवबलौदा – तहसील-पाटन, दुर्ग (14वीं शताब्दी)
– शिव मंदिर गतौरा – तहसील- मस्तुरी, बिलासपुर (14-15वीं शताब्दी)
– महादेव मंदिर बेलपान – तहसील- तखतपुर, बिलासपुर (16वीं शताब्दी)
राज्य में 39 राष्ट्रीय संरक्षित मंदिर हैं। इनमें से 19 मंदिरों में नियमित पूजा होती है। इनमें सबसे अधिक आठ शिव मंदिर हैं। विभाग इन सभी मंदिरों का संरक्षण और संवर्धन करता है, ताकि अधिक संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच सकें।
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