पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय सहित अन्य राजकीय विश्वविद्यालयों में प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षाएं रद हो गई हैं। रविवि में अंतिम वर्ष और सभी वर्ष की प्राइवेट विद्यार्थियों की परीक्षा किस प्रकार संचालित किया जाए, इसका निर्णय विवि नहीं, बल्कि शासन लेगा। रविवि प्रशासन ने कार्यपरिषद की बैठक में आए विद्या परिषद के सुझाव को शासन को भेज दिया है कि शासन स्तर पर निर्णय लिया जाए। विवि सूत्रों के अनुसार लगभग डेढ लाख छात्रों की परीक्षा लेना आसान नहीं है। कोरोना महामारी में परीक्षा कराने में तकनीकी समस्या आएगी।
एलएलबी, बीएड, फार्मेसी सहित कई प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में बार काउंसिल ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति लिए बगैर पास नहीं किया जा सकता। यानी सरकार विवि अधिनियम (कोरोना काल) को पास कराए बगैर अंतिम वर्ष की परीक्षा पर निर्णय नहीं ले सकती। ज्ञात हो कि यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा लेने की बात कही है। ऑनलाइन प्रश्नपत्र भेजकर परीक्षा लेने को कहा है। नियमित पढ़ाई कर रहे छात्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। विवि में एलएलबी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे पुष्पेंद्र साहू का कहना है कि सरकार का निर्णय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। क्या सिर्फ छत्तीसगढ़ में कोरोना का प्रभाव पड़ा है। जब डिग्री लेकर छात्र कहीं जाएंगे तो उन्हें कोरोना वायरस से जोड़कर देखेंगे। सेवानिवृत्त कॉलेज प्राचार्य अशोक कुमार का कहना है कि परीक्षा दिए बगैर छात्रों को पास करना सही नहीं है। ऐसे में प्राइवेट कॉलेजों को इसका फायदा मिलेगा।
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