इसरो ने संकट की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाने में मददगार क्रू एस्केप सिस्टम की उड़ान का सफल परीक्षण किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि क्रू एस्केप सिस्टम की विश्ववसनीयता और प्रभावशीलता को परखने के लिए सिलसिलेवार परीक्षण में यह पहला अभियान था. मिशन के विफल होने की स्थिति में इस सिस्टम का इस्तेमाल अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित निकालने में हो सकेगा.
2.9 किलोमीटर की दूरी की तय
इसरो ने एक विज्ञप्ति में बताया कि पहले ‘ पैड अबार्ट सिस्टम ’ ने परीक्षण में किसी भी आपात स्थिति के समय क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी का कामयाब प्रदर्शन किया. पांच घंटे की उल्टी गिनती के बाद छद्म क्रू माड्यूल के साथ क्रू एस्केप सिस्टम मॉड्यूल को श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह सात बजे छोड़ा गया. यह परीक्षण करीब 259 सेकंड चला. लॉचिंग के बाद टेस्टिंग मॉड्यूल कुछ देर तक हवा में रहा और बंगाल की खाड़ी में गिरने के बाद पानी में 2.9 किलोमीटर की दूरी तय करके श्रीहरिकोटा पहुंच गया.
अंतरिक्ष मिशन में निभाएगा अहम भूमिका
इसरो ने बताया कि यह मॉडयूल भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन में अहम भूमिका निभाएगा. इस परीक्षण में यह देखने की कोशिश की गई कि अंतरिक्ष यान की उड़ान के दौरान अप्रत्याशित घटना या दुर्घटना के वक्त क्रू को कैसे सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता है. इसरो स्वदेशी निर्मित रीयूजेबल लांच व्हेकिल (आरएलवी) के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की जांच कर चुका है. मिशन के तहत विभिन्न मापदंडों पर करीब 300 सेंसर्स ने परीक्षण को रिकॉर्ड किया. इस दौरान तीन रिकवरी बोट भी तैनात की गई थी.
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