वन नेशन वन टैक्स व्यवस्था के तहत जीएसटी आने के बाद भी रिफंड को लेकर कारोबारियों को समस्या आ रही है। खासकर स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) में माल भेजने वालों को रिफंड के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। नियमानुसार सेज स्थित कंपनियों पर जीएसटी लागू नहीं होता है, परंतु कोई व्यापारी या सप्लायर यदि यहां की कंपनियों को माल बेचता है तो उसे बेचे हुए माल की कीमत पर वस्तुओं की कैटेगरी के अनुसार जीएसटी पहले जमा करना होता है। बाद में कस्टम विभाग से रिफंड प्रक्रिया का आवेदन करना होता है।
वहीं कस्टम में रिफंड प्रक्रिया समयबद्ध नहीं होने से लंबे समय तक पूंजी अटकी होती है। इस पर ब्याज भी नहीं मिलता, लेकिन यदि समय पर टैक्स नहीं भरा तो सरकार जरूर कारोबारियों से ब्याज ले लेती है। कारोबारियों ने इसे लेकर केंद्र को पत्र लिखा है और प्रक्रिया बदलने की मांग की है। कारोबारियों का कहना है कि अभी नियम के तहत कारोबारी को पहले बिल की कॉपी लेकर सेज की कंपनी से सत्यापन कराना होता है। फिर कस्टम विभाग में जमा कराकर क्लेम करना होता है, जबकि सेज में कोई भी माल गेट पर बिल आदि देखकर ही जाने दिया जाता है। विभाग के पास इसकी ऑनलाइन एंट्री होती है। ऐसे में कारोबारियों से फिर से सत्यापन कराना गलत है।
More Stories
37वां दिन धार भोजशाला सर्वेक्षण: भोजशाला ब्यूरो एएसआई टीम, 29 अप्रैल को एचसी में पेश की जाएगी रिपोर्ट, सर्वेक्षण की अवधि बढ़ाने पर निर्णय
लोकसभा चुनाव 2024 चरण 2: सांसदों की 6 सीटों पर वोटिंग जारी, विपक्ष समेत इन नेताओं ने किया मतदान
धार समाचार: बैंक में लगी भीषण आग, फर्नीचर और दस्तावेज जलकर राख