शहर में कोरोना संक्रमण की दर जुलाई में 6.41 थी, जो सितंबर में बढ़कर 17.81 पहुंच गई है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी संक्रमण को स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार नहीं कर पाए हैं। स्थिति यह है कि मंगलवार को शहर में 2112 एक्टिव मरीज थे लेकिन सरकारी और निजी अस्पतालों में सिर्फ 1407 पलंग की व्यवस्था है। इस कारण प्रशासन ज्यादातर मरीजों को होम आइसोलेट कर रहा है। एक दिन पहले तक 710 मरीज होम आइसोलेट थेे।
पूर्व में जिला प्रशासन ने होम क्वारेंटाइन पर ही पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी। वहीं दूसरी ओर कागजों में दिखाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पांच अस्पतालों में मरीजों के भर्ती करने की व्यवस्था होने का दावा किया है। इनमें कुछ में ऑक्सीजन देने की भी सुविधा है, लेकिन हकीकत यह है कि इन अस्पतालों में केवल बिना लक्षण वाले मरीजों को ही भर्ती करने के लिए कहा गया है।दुल्लुपुर निवासी 20 वर्षीय युवक को श्रमोदय विद्यालय में भर्ती किया गया है। उसने बताया कि भोजन तो समय पर मिलता है, लेकिन बीमारी के कारण काफी कमजोरी आ गई है। कई बार कहने के बाद भी दूध नहीं दिया जा रहा। दिन हो या रात, यहां इतनी गर्मी रहती है कि नींद नहीं आती।
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