उत्तर प्रदेश के Maharajganj जिले में प्रशासन की बुलडोजर कार्रवाई ने एक बार फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। यहां भारत-नेपाल सीमा के निकट अवैध रूप से बनी मस्जिदों, मदरसों और अन्य धार्मिक संरचनाओं पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाने का काम तेजी से शुरू किया है। महराजगंज के कोल्हुई थाना क्षेत्र स्थित इलाहाबास गांव में करीब पांच साल पहले सरकारी बंजर भूमि पर एक अवैध मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस पर गुरुवार को प्रशासन ने बुलडोजर से कार्रवाई करते हुए उसे ध्वस्त कर दिया।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का मामला
उत्तर प्रदेश में Maharajganj , सिद्धार्थनगर, लखीमपुर खीरी, बहराइच और अन्य सीमावर्ती जिलों में पिछले कुछ दिनों से अवैध रूप से बनाये गए मदरसों और मस्जिदों को लेकर प्रशासन की कार्रवाई तेज हो गई है। विशेष रूप से भारत-नेपाल सीमा के पास सरकारी बंजर भूमि पर निर्माणों के बारे में जानकारी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद इस अभियान को गति मिली है और अधिकारियों ने सीमा के आसपास के इलाकों में इस तरह के अवैध निर्माणों को चिन्हित करना शुरू किया है।
अब तक, महराजगंज जिले में करीब 60 अवैध मदरसे और मस्जिदें चिन्हित की जा चुकी हैं, जिन्हें प्रशासन ने नष्ट करने की योजना बनाई है। पिछले कुछ हफ्तों में इन इलाकों में चल रहे बुलडोजर अभियान में दर्जनों मदरसों, मजारों और मस्जिदों को ध्वस्त किया जा चुका है। प्रशासन का कहना है कि इन धार्मिक स्थलों का निर्माण सरकारी भूमि पर अवैध रूप से किया गया था और इनसे राज्य की संपत्ति का नुकसान हो रहा था।
प्रशासन की सख्ती और लोगों का विरोध
महराजगंज जिले में यह बुलडोजर कार्रवाई लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। कई स्थानीय लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे धार्मिक आधार पर विरोध का मुद्दा मान रहे हैं। इलाके में कुछ लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई से उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। दूसरी तरफ, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए की जा रही है और इसमें किसी धर्म विशेष का कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
गुरुवार को एसडीएम और प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में बुलडोजर द्वारा मस्जिद को ध्वस्त किया गया। प्रशासन का कहना है कि पहले ही नोटिस जारी कर दिया गया था और वैध प्रक्रिया के बाद ही यह कार्रवाई की गई है। इसके बाद से इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
सीमा क्षेत्र में प्रशासन का बड़ा कदम
सीमावर्ती इलाकों में इस तरह की कार्रवाइयों के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्पष्ट नीति है, जिसके तहत भारत-नेपाल सीमा के 0-15 किलोमीटर के दायरे में अवैध निर्माणों को हटा दिया जाएगा। बहराइच, गोंडा, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और लखीमपुर खीरी जैसे जिलों में यह अभियान चल रहा है।
राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा को लेकर उठाया जा रहा है। इन इलाकों में बड़े पैमाने पर धार्मिक और अन्य अवैध संरचनाएं बनाई गई हैं, जो सीमा सुरक्षा के लिहाज से खतरे का कारण बन सकती हैं। ऐसे में प्रशासन ने इस अभियान को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जों को हटाया जा सके और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
मदरसों और मस्जिदों पर कार्रवाई का सामाजिक प्रभाव
महाराजगंज में मदरसों और मस्जिदों पर बुलडोजर की कार्रवाई के प्रभाव समाज के विभिन्न वर्गों पर पड़ने वाले हैं। जहां कुछ लोग इसे एक ऐतिहासिक कदम मानते हैं, वहीं कई लोगों का कहना है कि यह एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है। धार्मिक स्थल को गिराए जाने से कुछ समुदायों में नाराजगी बढ़ सकती है।
हालांकि, प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यह कदम सिर्फ अवैध कब्जों को हटाने के लिए उठाया गया है, और यह किसी खास समुदाय या धर्म को निशाना बनाने के लिए नहीं किया गया। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई धार्मिक स्थल या निर्माण सरकारी भूमि पर अवैध रूप से किया गया है, तो उसे हटाया जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो।
महराजगंज जिले में बुलडोजर की कार्रवाई का यह सिलसिला राज्य सरकार की नीति और प्रशासन की सख्त निगरानी का हिस्सा है। भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ते सुरक्षा खतरों को देखते हुए राज्य सरकार ने अवैध निर्माणों को हटाने की दिशा में यह कदम उठाया है। इसके परिणामस्वरूप राज्य में अवैध निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है। हालांकि, इससे जुड़े विवाद और विरोध भी हो सकते हैं, जिन्हें प्रशासन को संवेदनशीलता से सुलझाने की आवश्यकता होगी।
प्रदेश में इस तरह के अभियान का असर आने वाले दिनों में और भी अधिक देखने को मिल सकता है, क्योंकि सरकार द्वारा जारी निर्देशों के तहत अन्य जिलों में भी इस तरह की कार्रवाई जारी रखने की योजना है। अब यह देखना होगा कि यह अभियान कितने समय तक चलेगा और इसके बाद क्या प्रभावी बदलाव देखने को मिलते हैं।