JSLPS News: रांची-पलाश दीदी कैफे फूड क्लस्टर विकास परियोजना के तहत आयोजित दस दिवसीय उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ. इस छठे प्रशिक्षण बैच में झारखंड के 12 जिलों से आयीं 30 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भाग लिया. अब तक 155 महिलाएं प्रशिक्षित हो गयी हैं. प्रशिक्षित महिलाओं को प्रमाण पत्र दिया गया. मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में जेएसएलपीएस की सीईओ कंचन सिंह उपस्थित थीं. IHM रांची के प्राचार्य डॉ भूपेश कुमार, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक नीतीश कुमार सिन्हा और मीनाक्षी प्रकाश समेत अन्य मौजूद थे.
बेकरी, फूड सर्विस का प्रशिक्षण
प्रशिक्षण में स्थानीय व्यंजन, बेकरी, फूड सर्विस, कैफे की स्थापना, लागत निर्धारण, बिक्री तकनीक और उद्यमिता जैसे विषयों को शामिल किया गया. प्रशिक्षण के एक भाग के रूप में प्रतिभागियों ने रांची उपायुक्त कार्यालय में पूनम दीदी द्वारा संचालित सफल कैफे का दौरा किया. इससे उन्हें व्यावहारिक अनुभव और वास्तविक समय में सीखने का अवसर मिला.
100 दीदी कैफे की स्थापना का लक्ष्य
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम IHM रांची और JSLPS के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य अगले तीन वर्षों में झारखंड के विभिन्न जिलों में 100 दीदी कैफे स्थापित करना है. आज समापन समारोह में सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत प्रमाण पत्र प्रदान किए गए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व तथा ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह के मार्गदर्शन में ग्रामीण विकास विभाग स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को आजीविका के जरिए सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह परियोजना इसी दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण पहल है.
ग्रामीण महिलाएं बन रही हैं सशक्त-कंचन सिंह
जेएसएलपीएस की सीईओ कंचन सिंह ने कहा कि यह पहल न केवल ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक और पाक विरासत को प्रस्तुत करने का एक सशक्त मंच भी प्रदान कर रही है. JSLPS इस ग्रामीण विकास मॉडल को राज्य के हर जिले में फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है.
पारंपरिक व्यंजनों को मिलेगी नयी पहचान-डॉ भूपेश कुमार
IHM के प्राचार्य डॉ भूपेश कुमार ने कहा कि उनका संस्थान झारखंड की महिलाओं को विश्व स्तरीय आतिथ्य और खाद्य सेवा कौशल प्रदान करने के लिए समर्पित है, ताकि वे अपने गांव और जिलों में सफल उद्यमी बन सकें. यह साझेदारी झारखंड में समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह कार्यक्रम न केवल महिलाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों को भी एक नयी पहचान दे रहा है.
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