Muzaffarnagar में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने एक महत्वपूर्ण सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसमें दिल से जुड़ी बीमारियों, Angioplasty और उनके उन्नत इलाज के तरीकों पर गंभीर विमर्श हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन सर्कुलर रोड स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) भवन में किया गया, जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष डॉ सुनील चौधरी ने की। संचालन डॉ अनिल कक्कड़ ने संभाला और सचिव डॉ मनोज काबरा ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित किया।
विशेषज्ञ व्याख्यान: फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के डॉ संजीव गेरा की प्रस्तुति
दिल्ली-एनसीआर के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव गेरा (Fortis Hospital, Noida) ने “रिसेंट एडवांसेज इन Angioplasty” विषय पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि एंजियोप्लास्टी अब एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है, जहां कम इनवेसिव तकनीकों के जरिये बिना ओपन हार्ट सर्जरी के भी मरीजों को बेहतर जीवन मिल रहा है।
क्या है Angioplasty और क्यों जरूरी है?
एंजियोप्लास्टी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें अवरुद्ध कोरोनरी धमनियों को खोला जाता है, जिससे दिल को सही मात्रा में रक्त मिल सके। इसमें मेडिकल गुब्बारे और स्टेंट का उपयोग किया जाता है, जो ब्लॉकेज को हटाकर धमनियों को खुला रखते हैं।
डॉ गेरा ने बताया कि नई तकनीकों के जरिये अब स्टेंट-रहित एंजियोप्लास्टी भी संभव हो गई है, जो कि विशेष रूप से युवाओं और बुजुर्गों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इसमें ड्रग-कोटेड बालियों का उपयोग कर बिना स्टेंट लगाए ही ब्लॉकेज को हटाया जा सकता है।
3D इमेजिंग और नई तकनीकों ने बढ़ाई सटीकता
डॉ गेरा ने बताया कि 3D इमेजिंग जैसी तकनीकें अब दिल की जटिलताओं को समझने में मदद करती हैं। इससे डॉक्टर यह सटीकता से जान पाते हैं कि ब्लॉकेज कहां और कितनी गंभीर है, जिससे इलाज भी उसी अनुसार किया जा सकता है।
मूक हृदय रोग: सबसे खतरनाक लेकिन अदृश्य दुश्मन
कार्यक्रम में मूक हृदय रोग (Silent Heart Disease) पर विशेष जोर दिया गया। डॉ गेरा ने बताया कि कई बार बिना किसी लक्षण के ही दिल की बीमारियां जड़ें जमा लेती हैं, जिसे पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसके लिए लिपिड प्रोफाइल, सीटी कैल्शियम स्कोर और स्ट्रेस टेस्ट जैसे जांच जरूरी हैं।
नई तकनीकें: कम जोखिम, जल्दी छुट्टी
उन्होंने बताया कि अब कई प्रकार के हृदय ऑपरेशन्स जैसे पेसमेकर इम्प्लांटेशन और वॉल्व रिप्लेसमेंट भी बिना ओपन सर्जरी के हो रहे हैं। इससे न केवल अस्पताल में रुकने की अवधि कम होती है बल्कि मरीज को कम जोखिम के साथ जल्दी रिकवरी भी मिलती है।
युवाओं में हृदय रोग: बदलती जीवनशैली का असर
डॉ गेरा ने इस बात पर चिंता जताई कि अब युवा वर्ग में भी हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने जीवनशैली में सुधार, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव रहित जीवनशैली को अत्यावश्यक बताया।
हृदय रोग के कारण: सावधानी से ही बचाव संभव
डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, शराब का सेवन, अधिक वसा और नमक युक्त भोजन, तनावपूर्ण जीवनशैली—ये सभी फैक्टर दिल के रोगों को जन्म देते हैं। इनसे बचाव ही सबसे कारगर उपचार है।
विस्तृत सहभागिता: IMA के डॉक्टरों की भारी उपस्थिति
इस कार्यक्रम में दर्जनों प्रमुख चिकित्सकों की भागीदारी रही। उपस्थित प्रमुख डॉक्टरों में शामिल थे:
डॉ सुनील सिंघल (मीडिया प्रभारी)
डॉ यश अग्रवाल (प्रेसिडेंट इलेक्ट 2025-26)
डॉ डी एस मालिक, डॉ एम के बंसल, डॉ एम आर एस गोयल
डॉ रमेश माहेश्वरी, डॉ आर एन गंगल, डॉ ईश्वर चन्द्रा
डॉ आमोद कुमार, डॉ अनिल सिंह, डॉ पंकज जैन
डॉ सत्यम राजवंशी, डॉ अनुभव सिंघल, डॉ अनिल राठी
डॉ मनीष अग्रवाल, डॉ अखिल गोयल, डॉ पी के चाँद
डॉ अशोक शर्मा, डॉ रवींद्र जैन, डॉ हेमंत शर्मा
डॉ पंकज अग्रवाल, डॉ डी पी सिंह, डॉ विनीत मिनोचा
डॉ अजय सिंघल, डॉ डी के शर्मा, डॉ पंकज सिंह
डॉ राजीव काम्बोज, डॉ अरविंद सैनी, डॉ सुजीत कुमार सिंह
डॉ ललिता माहेश्वरी, डॉ निशा मलिक
इस आयोजन में अतुल कुमार और दीपक कुमार का विशेष सहयोग रहा।
प्रश्नोत्तर सत्र ने जोड़े और गहराई
प्रश्नोत्तर सत्र में डॉक्टरों ने अपनी शंकाओं को खुलकर साझा किया और डॉ गेरा ने हर बिंदु पर विस्तृत उत्तर देकर प्रतिभागियों को संतुष्ट किया। कई चिकित्सकों ने नई तकनीकों को अपनाने की इच्छा भी जाहिर की।
IMA भवन में हुआ यह कार्यक्रम बना चिकित्सा नवाचार का प्रतीक
मुजफ्फरनगर में IMA द्वारा आयोजित यह CME कार्यक्रम चिकित्सा क्षेत्र के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि एक तरह से जन-जागरूकता का भी माध्यम बना। हृदय रोग जैसे गंभीर विषय पर खुले मंच पर विचारों और अनुभवों का साझा किया जाना, समाज में जागरूकता फैलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
हृदय की सेहत अब तकनीक की नई उड़ान पर है। स्टेंट-रहित एंजियोप्लास्टी, 3D इमेजिंग और जीवनशैली में बदलाव के संदेश के साथ मुजफ्फरनगर का यह आयोजन न केवल मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए बल्कि आम जनमानस के लिए भी एक चेतावनी और आशा की किरण है। हृदय रोग से बचाव की दिशा में यह एक प्रेरणास्रोत उदाहरण बनकर उभरा है।