पिछले कई महीनों से भारत और चीन की सीमा पर तनाव बरकरार है। इसको लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने तक आ चुकी हैं। दोनों देश सीमा पर तनाव कम करने को लेकर सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर कई बार वार्ता कर चुके हैं, लेकिन चीन अपनी सेना पीछे हटाने के लिए शर्तों को सामने ला रहा है। वहीं भारत भी चीन की चाल को समझ चुका है और पहले पीछे हटने को लेकर राजी नहीं है। बता दें कि दुनिया के सामने चीन भले ही वार्ता करके मामले को बातचीत से सुलझाने की कोशिश करता दिखा रहा है लेकिन इसके पीछे चीन की चाल भारत बखूबी जानता है। अब चीन एक बार फिर सीमा पर अपनी चालबाजी दिखाना शुरू कर दिया है। बता दें कि चीन की तरफ से अब सोलर और गैस हीटेड ट्रूप कंटेनर्स और स्नो टेंट लगाए जा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि इन सर्दियों में भी चीन के सैनिक लद्दाख में गतिरोध वाली जगहों पर तैनात रहेंगे। सीमा पर सर्दियों में चीन की तैयारियों को देखते हुए सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पीएलए (चीनी सेना) सर्दियों के लिए तैयारी हो रही है। उसकी ओर से लगाए गए कंटेनर्स में चार से छह सैनिक रह सकते हैं। इसके साथ ही अपने बीमार होने वाले सैनिकों का इलाज करने के लिए वहीं अस्पताल भी स्थापित किए गए हैं। सेनाओं के पीछे हटने को लेकर भारतीय पक्ष का मानना है कि सीमा पर डिसएंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की आवश्यकता होगी। वहीं चीनी सेना के कमांडरों ने अपने बयानों से स्थिति को और तनावयुक्त बना दिया है। चीनी सेना के कमाडंरों का कहना है कि चीनी सेना द्वारा सॉल्ट वॉटर लेक के उत्तरी तट पर स्थित फिंगर फोर एरिया से वापस चला जाएगा, लेकिन उससे पहले भारतीय सेना पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट और रेजांग ला-रेचिन ला से पीछे हटे।
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