ऐसा लगता है कि डॉक्टर बनने में युवाओं की रुचि लगातार कम होती जा रही है। 2017 में एमबीबीएस व बीडीएस की एक सीट के लिए औसतन पांच दावेदार होते थे। इस साल (2020 में) एमबीबीएस/बीडीएस की स्टेट कोटे की 4362 सीटों के लिए आखिरी तारीख 10 नवंबर की रात 12 बजे तक सिर्फ 9600 उम्मीदवारों ने ही दाखिले के लिए पंजीयन कराया है। यानी एक सीट के पीछे औसतन दो उम्मीदवार ही हैं। दाखिले के लिए पंजीयन कराने वाले उम्मीदवारों की संख्या हर साल कम होती जा रही है, जबकि सीटें लगातार बढ़ रही हैं।
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों ने कहा कि सरकारी सेवाओं में चिकित्सकों का वेतन कम है। दूसरी बात यह कि अच्छे अंक वाले उम्मीदवार देश के दूसरे बेहतर चिकित्सा संस्थानों में दाखिला लेने की कोशिश करते हैं, इसलिए वह मध्यप्रदेश में पंजीयन नहीं कराते। यही वजह है कि एमबीबीएस की सीटों तो भर जाती हैं, लेकिन निजी डेंटल कॉलेजों में बीडीएस की हर साल 700 से 800 सीटें खाली रह जाती हैं।
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