देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और हर कोई इसकी कारगर वैक्सीन आने के इंतजार में बैठा है। लोग सोच रहे हैं कि वैक्सीन के आते ही वह इसके लेकर कोरोना से बच जाएंगे, लेकिन ऐसा सोचना पूरी तरह से गलत है। यह जरूरी नहीं कि वैक्सीन आने के बाद आपको मिले ही।
दअरसल, स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सरकार ने कभी नहीं कहा कि पूरे देश के लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण में लगने वाले समय के सवाल पर सचिव राजेश भूषण ने कहा, “मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि सरकार ने कभी भी पूरे देश को वैक्सीन लगाने की बात नहीं की।”
उन्होंने कहा “यह महत्वपूर्ण है कि हम लोग वैज्ञानिक मुद्दों पर चर्चा करें जोकि तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर हों।” भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के निदेशक के डॉ बलराम भार्गव ने बताया कि सरकार का उद्देश्य कोरोना के ट्रांसमिशन को तोड़ना है।
उन्होंने कहा, “टीकाकरण वैक्सीन के प्रभाव पर निर्भर करेगा और हमारा उद्देश्य कोरोना संक्रमण के ट्रांसमिशन को तोड़ना है। अगर हम कुछ लोगों को वैक्सीन लगाने में सफल हो गए और ट्रांसमिशन को तोड़ सके तो हमें देश की पूरी जनता को वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
सरकार ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले तमिलनाडु के एक शख्स पर कथित साइड इफेक्ट से वैक्सीन की समय सीमा प्रभावित होने की आशंका को खारिज कर दिया।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि इससे समय सीमा प्रभावित नहीं होगी। क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने वाले वॉलेंटियर्स पहले ही एक सहमति पत्र पर दश्तखत करते हैं। उसमें वॉलंटियर को बताया जाता है कि ट्रायल में कुछ दुष्रप्रभाव भी हो सकते हैं।
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