प्रदेश के नगरीय निकायों के अंतर्गत संचालित लगभग 322 गोठानों में तैयार होने वाले गौ काष्ठ और कण्डे का उपयोग अब दाह संस्कार के लिए किया जा सकेगा। नगरीय प्रशासन मंत्री डाॅ शिवकुमार डहरिया ने सभी नगरीय निकायों के अंतर्गत आने वाले दाह संस्कार/मुक्तिधाम स्थल पर गोठानों में निर्मित होने वाले गौ काष्ठ का उपयोग लकड़ी के स्थान पर दाह संस्कार के लिए करने की न सिर्फ अपील की है अपितु उन्होंने मुक्तिधाम सहित महत्वपूर्ण स्थानों पर गौ-काष्ठ की बिक्री रियायती दर पर उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री की की इस पहल से गोठानों में गौ काष्ठ निर्माण में एक ओर जहा तेजी आएगी वहीं स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार के नए अवसर के साथ स्वावलंबी बनने का सुखद अवसर भी मिलेगा। सबसे खास बात यह भी है कि गौ-काष्ठ का उपयोग दाह संस्कार में होने से एक साल में लाखों पेड़ों की कटाई रूकेगी। इको-फ्रेण्डली दाह संस्कार से पर्यावरण का संरक्षण और स्वच्छ तथा प्रदूषण मुक्त शहर की संकल्पना भी साकार होगी।
स्मार्ट सिटी का सपना संजोए छत्तीसगढ़ के अनेक शहरों में प्रदूषण और स्वच्छता एक बड़ी चुनौती है। वैसे तो प्रदूषण फैलने के कई कारण है, लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने इस दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम उठाया है। पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलने के साथ स्वच्छ हवा में सांस ले पाएंगे। रायपुर निगम क्षेत्र में गौ-काष्ठ और कण्डे से अनेक दाह संस्कार करा चुके एक पहल सेवा समिति के उपाध्यक्ष श्री रितेश अग्रवाल का कहना है कि अब लोग जागरूक हो रहे हैं। रायपुर में अनेक दाह संस्कार में गौ-काष्ठ और कण्डे का उपयोग भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गौ-काष्ठ से दाह संस्कार पेड़ों को कटने से बचाने के साथ रोजगार के नए अवसर और स्वावलंबन को भी बढ़ावा मिलता है। इसलिए लोगों को लकड़ी के स्थान पर गोठानों में बनने वाले गौ-काष्ठ का ही इस्तेमाल ईंधन के नए विकल्प के रूप में करना चाहिए।
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