दूरस्थ अंचलों में निवास करने वाले आदिवासी किसानो के लिए सौर सुजला योजना उपयोगी हो रही है। वनांचल क्षेत्र के नदी, नालों, कुआं आदि पानी के मुख्य स्त्रोत है जिसका उपयोग किसान खेती किसानी, साग-सब्जी उत्पादन के लिए करते है। छत्तीसगढ़ शासन की सौर सुजला योजना किसानों को कम लागत से पंप स्थापित करके सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का एक स्त्रोत है। क्रेडा विभाग सहायक अभियंता श्री संदीप बजारे ने बताया कि दूरस्थ अंचलों में किसानों को योजनाका लाभ देने के लिए किसानों के खेतों और गौठानों में भी पंप स्थापित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर हितग्राहियों को लाभांवित किया जा रहा है।
कृषि विभाग, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी और क्रेडा विभाग के माध्यम से आवेदन लेकर, किसानों को लाभांवित करने की प्रक्रिया निरंतर जारी है उन्होंने बताया कि 3 एचपी के सौर सुजला योजना पंप के लिए अनुसूचित जाति को 10 हजार अनुसूचित जनजाति को 10 हजार अन्य पिछड़ा वर्ग को 15 हजार और सामान्य वर्ग को 20 हजार की अंशदान लिया जाता है। इसी प्रकार 5 एचपी सौरसुजला योजना पंप के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति को 15 हजार अन्य पिछड़ा वर्ग को 20 हजार और सामान्य वर्ग को 25 हजार की हितग्राही अंश शामिल है। उन्हांेने बताया कि वर्ष 2020-21 में 2000 सोलरपंप स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त हितग्राहियों को किसी भी प्रकार की अतिरिक्त राशि शुल्क नहंी देना होता है। जिले में अब तक 6468 नग सोलरपंप लगाया गया है। सोलर पंप लगाने के लिए नदी, नाला, कुंआ, नलकूप आदि का चिन्हांकन किया जाता है और वहां प्राथमिकता से सोलरपंप स्थापित किया जाता है।
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