केहे गेहे तें कतको कांही करले फेर तोला काल के गति ला जान सुन के सधे अउ साधे ला परही. एकझन बैठांगूर चोला के दुःख अउ सुख ला सरेखने वाला कोनो नइ मिलय. समय अपन काम मा लगे हे ओला आजतक कोनो सुरतात नइ देखे हें तभे तो समे परे मा काम आवत ले खटावत रइथे. जीव हा जांगर ला धरके पैदा होथे. फेर ए मिरतु लोक मा पोट – पोट करइया के कमी नइहे काबर के वोकर सोंच मा ठल्हा रहिके जीना घलो एक ठन बुता होगे हे. अइसे नइ होना चाही .रतन के जतन करइया कोने. कोने तेला सबो जुरमिल के जतन करे के उदिम मा लागे हांवय. ये हमर पुरखा के सीख हरय. गियानिक मन घलाव जान डारथें नानमुन कहानी किस्सा मा घलो समाज ला कुछु न कुछु देहे जा सकत हे. कमिया के अलाली मा लालच ला समोखे ततके मा ओकर जांगर चले ला धर लेथे अउ समय के मान ओला मिलथे. धरती के कोख मा सिरजनहार हा सबो रतन ला जतन के राखे हावय. जतनइया के जतन ला जानना हे ते अपन स्वांसा के राहत ले संसारी बनके जीव के रक्षा मा लगे राह. जबले हाथ गोड़ चलत हे तबले तो चलतेच जाना हे. एक दिन अइसे घलो आही तेला तें पाछू मुड़ के देखबे त ओखर ताव घला तोला मिलही. सरीर ताय चलत भरके साथी नइते परे राह अघाती. आज काल अउ परोदिन के सपना तोर संसार हरे. बस करम करे जा
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