भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हाल ही में निजी वाहनों के लिए 3,000 रुपये का वार्षिक टोल पास पेश किया है। इस पास में या तो 200 टोल-फ्री ट्रिप मिलती हैं या फिर पूरे साल की वैधता। बहुत से लोग अभी इसके बारे में जान रहे हैं, लेकिन नोएडा के एक व्यक्ति ने इसका पूरा फायदा उठाकर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरी हैं।
यह व्यक्ति अपनी महिंद्रा थार से 25 दिनों में लगभग 11,000 किलोमीटर की यात्रा अकेले पूरी की। उसने बताया कि इस दौरान उसने देशभर के 13 राज्यों की यात्रा की, जिसमें 12 ज्योतिर्लिंग और चार धाम मंदिर शामिल थे। वीडियो में, वह मजाकिया अंदाज में कहता है कि उसे अवॉर्ड देना चाहिए, क्योंकि उसने इस वार्षिक पास का पूरा इस्तेमाल किया है।
उसका कहना है कि पास पर शुरू में 199 ट्रिप थीं और वापसी तक केवल 80 ट्रिप बचीं। यानी उसने करीब 119 टोल प्लाजा पार किए। सामान्य तौर पर इतने लंबे सफर पर 15,000 रुपये से 17,000 रुपये तक का टोल देना पड़ता, लेकिन इस पास से उसे अच्छी-खासी बचत हुई।
हालांकि, यह पास हर जगह लागू नहीं हुआ। जैसे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर उसे अलग से 1,200 रुपये टोल देना पड़ा। तमिलनाडु और कुछ अन्य जगहों पर कुल 2,400 रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ। उसने यह भी बताया कि सड़क का मज़ा लेने के लिए वह करीब 200 किलोमीटर ज्यादा चला, जिससे डीज़ल का खर्च बढ़ा। फिर भी, उसके हिसाब से यह पास बेहद फायदेमंद साबित हुआ।
यह वीडियो 24 सितंबर को इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया और अब तक 10 लाख से ज्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं। लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा: भाई, यह सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि एक उपलब्धि है। 30 दिन से भी कम में 11,000 किमी कवर करना अद्भुत है। दूसरे ने लिखा: मैंने भी 180 ट्रिप्स कर लिए, अब सिर्फ 20 बचे हैं। कर्नाटक से राजस्थान 8 बार गया। हालांकि, कुछ लोगों ने सवाल उठाए कि जब एनुअल पास है तो अलग से टोल क्यों देना पड़ा?
NHAI के नियमों के मुताबिक यह पास केवल निजी वाहनों (कार, जीप, वैन) पर लागू है। गाड़ी में पहले से Fastag लिंक होना जरूरी है और वह ब्लैकलिस्टेड नहीं होना चाहिए। वहीं, केवल चेसिस नंबर से रजिस्टर्ड गाड़ियों को पहले अपडेट करना होगा। इस स्कीम में बस और ट्रक जैसे कमर्शियल वाहन शामिल नहीं हैं।
नोएडा के इस व्यक्ति का अनुभव बताता है कि NHAI का सालाना टोल पास लंबी यात्राओं पर जाने वालों के लिए बेहद किफायती साबित हो सकता है। हालांकि, इसकी कुछ सीमाएं भी हैं, लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह यात्रियों की जेब पर बड़ा असर डाल सकता है।