भारत सरकार द्वारा छोटी कारों पर प्रस्तावित GST कटौती से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को झटका लग सकता है। इस कर कटौती से देश के EV उद्योग की गति धीमी हो सकती है। HSBC इन्वेस्टमेंट रिसर्च की एक रिपोर्ट में इस चिंता को व्यक्त किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकार छोटी कारों पर GST कम करती है, तो इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को नुकसान हो सकता है। छोटी कारों पर टैक्स कम करने से इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलने वाला मौजूदा मूल्य लाभ कम हो सकता है, जिससे EV क्षेत्र की वृद्धि दर प्रभावित हो सकती है।
केंद्र सरकार ने प्रस्तावित नई GST व्यवस्था के तहत दो स्लैब को हटाने का फैसला किया है। सरकार GST के 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब को हटाएगी। इसके अतिरिक्त, छोटी कारों पर GST 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत किया जा सकता है, जबकि बड़ी कारों पर सेस हटाकर 40 प्रतिशत की एक नई विशेष दर लागू की जा सकती है। इससे छोटी कारों की कीमतों में लगभग 8 प्रतिशत और बड़ी कारों की कीमतों में 3-5 प्रतिशत की कमी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि GST कटौती से पेट्रोल और डीजल वाहनों की मांग बढ़ सकती है और रोजगार भी बढ़ेंगे, लेकिन इससे निकट भविष्य में सरकारी राजस्व में भी गिरावट आएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, दोपहिया वाहन निर्माता लाभ में रहेंगे, खासकर घरेलू कंपनियों को अधिक फायदा होगा। हालांकि, इसमें सरकार को लगभग 4-5 बिलियन डॉलर (USD) का राजस्व नुकसान होगा।
दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि सभी वाहनों पर GST को 28% से घटाकर 18% कर दिया जाए, लेकिन सेस (Cess) जारी रखा जाए। इससे वाहनों की कीमत 6-8% तक कम हो जाएगी, हालांकि, सरकार को 5-6 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा। लेकिन इस कटौती से इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) का दाम वाला फायदा कम हो जाएगा, जिससे भारत में उनकी बिक्री की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
सबसे कम संभावित, लेकिन तीसरी स्थिति यह हो सकती है कि GST दर घटाने के साथ-साथ सेस भी हटा दिया जाए। इससे टैक्स सिस्टम सरल हो जाएगा, लेकिन सरकार को ऑटो सेक्टर से मिलने वाली जीएसटी की लगभग आधी कमाई का नुकसान हो सकता है।