1947 में भारत को आजादी मिलने के समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने नागरिकों का पेट भरना था। ऐसे समय में कार, मोटरसाइकिल या स्कूटर का सपना कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित था। दिलचस्प बात यह है कि ऑटो सेक्टर की नींव आजादी से पहले ही पड़ चुकी थी।
1940 के दशक में टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंदुस्तान मोटर और प्रीमियर जैसी कंपनियां अस्तित्व में आ चुकी थीं। हालांकि, उस समय कार खरीदना आसान नहीं था, क्योंकि आम आदमी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। 1950 से 1960 के दशक में आयात पर प्रतिबंध और सीमित औद्योगिक ढांचे के कारण ऑटो सेक्टर की रफ्तार धीमी रही। उस दौर में गाड़ियों की उपलब्धता सीमित थी और विकल्प भी कम थे।
1960 से 1980 के दशक में हिंदुस्तान मोटर्स ने भारतीय ऑटो मार्केट में अपनी पहचान बनाई। एंबेसडर कार सरकारी दफ्तरों से लेकर व्यापारियों तक की पसंद बन गई, जो एक स्टेटस सिंबल बन गई थी। एंबेसडर ने फोर्ड और फिएट जैसी विदेशी कंपनियों को सीधी चुनौती दी।
1980 के दशक में मारुति की एंट्री हुई, जिसने हिंदुस्तान मोटर्स की बादशाहत को चुनौती दी। 1981 में मारुति की स्थापना हुई और 1983 में मारुति 800 ने ऑटो इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। यह कार मिडिल क्लास के लिए एक सपना थी, जो किफायती कीमत, आसान रखरखाव और बेहतर माइलेज के साथ आई।
1991 में आर्थिक सुधारों ने विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोला। हुंडई, होंडा, टोयोटा जैसी कंपनियां भारत में आईं। 1997 में टोयोटा ने किरलोस्कर ग्रुप के साथ साझेदारी की। 2000 से 2010 के बीच कई ऑटो कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित कीं, जिससे रोजगार और उत्पादन में तेजी आई।
इस दौरान टाटा मोटर्स ने 1998 में सफारी SUV लॉन्च की और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 2002 में स्कॉर्पियो पेश की, जिसने SUV सेगमेंट में नया ट्रेंड सेट किया।
2000 के दशक में मारुति सुजुकी ने यूरोपीय मार्केट में कारें भेजना शुरू किया। 2009 तक भारत चौथा सबसे बड़ा पैसेंजर कार निर्यातक बन गया। 2010 में एशिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक बना और 2011 में प्रोडक्शन के मामले में दुनिया का छठा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल निर्माता था।
2019 तक भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया। आज यह सेक्टर लगभग 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड, ऑटोनॉमस ड्राइविंग तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है। टाटा, महिंद्रा, हुंडई जैसी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च कर रही हैं। सरकार EV अपनाने के लिए FAME-II जैसी योजनाएं चला रही है।