आजकल हर हफ्ते रिलीज होने वाली फिल्मों और वेब सीरीज की भीड़ लग रही है, और हमारा काम है उन्हें देखना और आपको बताना कि कौन सी देखनी चाहिए और कौन सी नहीं। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनके लिए बस ‘देख लो’ कहकर बात खत्म नहीं होती। ‘जॉली एलएलबी 3’ ऐसी ही एक फिल्म है। यह सिर्फ थिएटर में बैठकर पॉपकॉर्न खाने वाली फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी फिल्म है जिसे मैं अपने खास दोस्तों और परिवार को भी दिखाने ले जाऊंगा।
‘जॉली एलएलबी 3’ में अक्षय कुमार और अरशद वारसी एक बार फिर ‘जॉली’ बनकर आए हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। कहानी किसानों की आत्महत्या और उनकी जमीन हथियाने वाली कंपनियों जैसे गंभीर मुद्दे पर बात करती है। अब आप सोचेंगे कि फिल्म बहुत गंभीर होगी, लेकिन डायरेक्टर सुभाष कपूर ने इसमें कॉमेडी और इमोशन का ऐसा तड़का लगाया है कि आप पेट पकड़कर हंसेंगे भी और आपकी आंखें नम भी होंगी।
‘जॉली एलएलबी 3’ की कहानी हमें सीधे 2011 के राजस्थान के बीकानेर जिले के छोटे से गांव परसौल में ले जाती है, जहां एक बड़ा बिजनेसमैन हरिभाई खेतान (गजराज राव) अपने सपनों का प्रोजेक्ट ‘बीकानेर टू बोस्टन’ शुरू करना चाहता है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब इस प्रोजेक्ट के लिए उसे गांव के किसानों की जमीनें चाहिए। गांव के कुछ किसान अपनी पुश्तैनी जमीनें छोड़ने को तैयार नहीं हैं, और यहीं से शुरू होती है असली लड़ाई। हरिभाई खेतान अपनी पहुंच का इस्तेमाल करते हुए स्थानीय नेताओं और अफसरों की मदद से किसानों को गुमराह करता है और उनकी जमीनें अवैध तरीके से अपने नाम करा लेता है। ऐसे में एक किसान आत्महत्या करता है और कहानी में एंट्री होती है किसान की विधवा जानकी की, जो न्याय के लिए उस बड़े बिजनेसमैन से लड़ने का फैसला लेती है।
यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि हमारे देश की वो कहानी है जिसे हम अक्सर शहरी चकाचौंध में भूल जाते हैं। अक्षय कुमार और अरशद वारसी की ‘जॉली एलएलबी 3’ हमें उसी कड़वी सच्चाई का आईना दिखाती है, लेकिन बोर किए बिना। यह उन चुनिंदा फिल्मों में से है जो मनोरंजन के साथ-साथ एक मजबूत संदेश भी देती है।
आज किसानों के लिए कानून वो लोग बना रहे हैं, जिन्हें पालक और सरसों में फर्क नहीं पता… ये डायलॉग है, जॉली एलएलबी 3 का और फिल्म में इस तरह के कई डायलॉग हैं, जो हमें झकझोर कर रख देते हैं। सुभाष कपूर ने एक बार फिर अपनी कमाल की राइटिंग और डायरेक्शन से सबको प्रभावित किया है। यह फिल्म सिर्फ सुपरस्टार अक्षय कुमार के इर्द-गिर्द नहीं घूमती, बल्कि अरशद वारसी और बाकी सभी कलाकारों को भी चमकने का मौका देती है।
‘जॉली एलएलबी 3’ की असली ताकत है इसकी दमदार कास्ट। अक्षय कुमार अपनी वही पुरानी मुस्कान और स्टाइल के साथ हाजिर हैं, जो कोर्टरूम को भी हंसी के ठहाकों से भर देते हैं। अरशद वारसी हमेशा की तरह बिल्कुल सहज हैं। अक्षय और अरशद की केमिस्ट्री भी देखने लायक है। सीमा बिस्वास, गजराज राव, राम कपूर और सौरभ शुक्ला ने भी बेहतरीन काम किया है।
‘जॉली एलएलबी 3’ एक ऐसी फिल्म है जो ऑरिजनल भी है और कमाल की भी। इस तरह का सिनेमा देखना बेहद ज़रूरी है, वरना एक दर्शक के तौर पर हम खुद ही फेल हो जाते हैं।