फिल्मों में दोस्ती और दुश्मनी का मसाला आजकल खूब चल रहा है। दो सुपरस्टार्स को एक साथ देखने का उत्साह तो बनता ही है। एक तरफ ऋतिक रोशन, जिनकी अदाकारी के लाखों दीवाने हैं, और दूसरी तरफ जूनियर एनटीआर, जिनकी एंट्री पर थिएटर तालियों से गूंज उठता है। ‘वॉर 2’ का ऐलान हुआ तो उम्मीदें आसमान पर थीं। लेकिन क्या यह फिल्म उन उम्मीदों पर खरी उतरी या बस एक मसाला फिल्म बनकर रह गई? इस रिव्यू में फिल्म का पूरा हाल जानते हैं।
कहानी की बात करें तो, मेजर कबीर धालीवाल (ऋतिक रोशन) अचानक गायब हो जाते हैं। अब उनकी वापसी होती है, लेकिन इस बार वो देश के खिलाफ खड़े हो जाते हैं। उन्हें रोकने के लिए विक्रम (जूनियर एनटीआर) को भेजा जाता है, जिसका अपना एक अतीत है। काव्या थापर (कियारा आडवाणी) भी इस मिशन का हिस्सा हैं। कबीर देश का दुश्मन कैसे बना? विक्रम और काव्या उसे रोक पाएंगे या नहीं, ये जानने के लिए आपको थिएटर जाना होगा।
फिल्म में ऋतिक रोशन एक्शन सीन के साथ धमाकेदार एंट्री करते हैं। उनका स्वैग देखने लायक है। लेकिन कहानी धीमी पड़ जाती है। ‘वॉर 2’ में पुरानी जासूसी फिल्मों जैसी घिसी-पिटी कहानी है। ऐसा लगता है जैसे पुरानी कहानियों से कुछ हिस्से जोड़ दिए गए हों। ओटीटी के जमाने में, जहां हमें वास्तविक जासूसी कहानियों की आदत हो गई है, ‘वॉर 2’ की कहानी फीकी लगती है।
अयान मुखर्जी ने फिल्म का निर्देशन किया है, जिनसे ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी फिल्म के बाद उम्मीद थी कि वो कुछ नया करेंगे। उन्होंने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन कहानी पर पकड़ ढीली हो गई। निर्देशन में नयापन नहीं दिखा। ऐसा लगता है कि डायरेक्टर ने कहानी को मजबूत करने के बजाय, ऋतिक और जूनियर एनटीआर के स्टारडम पर भरोसा किया। एक्शन थ्रिलर को बेहतर बनाने की कोशिश की गई, लेकिन निराशा हाथ लगी। फिल्म के कई हिस्से बेतुके लगते हैं और कुछ जबरदस्ती खींचे गए लगते हैं।
एक्टिंग की बात करें तो, ऋतिक रोशन अपनी पुरानी फॉर्म में हैं। उनका लुक, स्वैग और मौजूदगी कमाल की है। कबीर के रूप में वो एकदम फिट बैठते हैं। हालांकि उनके किरदार में गहराई नहीं है, लेकिन वो अपनी छाप छोड़ते हैं। जूनियर एनटीआर के किरदार में निराशा है। उनकी स्टाइलिंग से लेकर किरदार तक, सब अधूरा लगता है। एनटीआर जैसे दमदार एक्टर के लिए ये किरदार बहुत कमजोर है।
कियारा आडवाणी भी ठीक ठाक हैं, लेकिन गाने और लव सीन में ज्यादा दिखाई देती हैं। अनिल कपूर भी कुछ ही पलों के लिए आते हैं।
फिल्म में एक्शन सीक्वेंस अच्छे हैं, जिसका क्रेडिट एक्शन डायरेक्टर्स को जाता है। बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है। गाने ठीक-ठाक हैं।
अगर आप ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर के फैन हैं, तो फिल्म देख सकते हैं। दोनों को साथ देखना अच्छा है। लेकिन सिद्धार्थ आनंद की ‘वॉर’ के मुकाबले ये फिल्म बोरिंग लगती है। कुछ अच्छे एक्शन सीक्वेंस हैं और इमोशनल पल भी हैं। कुल मिलाकर, यह फिल्म एक ऐसे सपने की तरह है जो अधूरा रह गया।