वॉर 2: 14 अगस्त का दिन सिनेमा प्रेमियों के लिए बड़ा था। दो बड़े सितारों की किस्मत दांव पर थी। एक तरफ ऋतिक रोशन की ‘वॉर 2’ और दूसरी ओर रजनीकांत की ‘कुली’। तीन दिनों में, भारत में ऋतिक की फिल्म लगभग 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। लेकिन फिल्म से जैसी उम्मीद थी, सच कहूं तो अयान मुखर्जी उस उम्मीद को पूरा करने में सफल नहीं हो पाए। 400 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म में कई कमियां हैं, जो आने वाले दिनों में फिल्म को और नुकसान पहुंचाएंगी। शुरुआत भी हो चुकी है, जहां वीकेंड पर कमाई बढ़नी चाहिए थी, वहां करोड़ों का नुकसान हुआ है। लेकिन असल में फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी कौन है? आइए जानते हैं।
इस बार, निर्माताओं ने दो दोस्तों की कहानी के माध्यम से दर्शकों का दिल जीतने की कोशिश की है। लेकिन इसी कहानी, वीएफएक्स, एक्शन सहित कई चीजों को लेकर जबरदस्त ट्रोल हो रहे हैं। इसके कई कारण हैं, क्योंकि एक अच्छी फिल्म में थोड़ा तर्क होना चाहिए, जो इसमें गायब था। लेकिन अगर यह खिलाड़ी थोड़ा भी दिल जीतने में कामयाब हो जाता, तो भी काम चल जाता। क्या यह ऋतिक हैं, या कोई और?
‘वॉर 2’ की कमजोर कड़ी ने बढ़ाई मुश्किलें!
इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी खुद जूनियर एनटीआर हैं, जो फिल्म में विलेन के रूप में उतरे हैं। या यूं कहें कि ‘घर का भेदी, लंका ढाए’। मैं यहां ज्यादा स्पॉइलर नहीं दूंगी, ताकि आप भी वाईआरएफ की इस फिल्म को देख सकें। लेकिन जूनियर एनटीआर ही वह खिलाड़ी हैं जो निर्माताओं के लिए दीर्घकालिक निवेश साबित हो सकते थे। फिल्म में उनकी एंट्री भी इसीलिए कराई गई थी। लेकिन एक भी जगह वह फिट नहीं बैठते। अब इसमें कहानी, एक्शन की गलती नहीं है, लेकिन सच कहा जाए तो आपका विक्रम उर्फ रघु इस रोल में जमे नहीं। यहां 3 बिंदुओं में समझिए कहां गलती भारी पड़ी।
1. एक्शन: पहले से ही फिल्म में कोई असाधारण एक्शन नहीं है। उस पर, ऋतिक और जूनियर एनटीआर के बीच जो विशेष सीक्वेंस प्लान किए गए थे, उन्होंने भी कोई खास जादू नहीं चलाया। इतना सस्ता एक्शन और उसमें भी जूनियर एनटीआर की एक्टिंग। सब कुछ ठंडा था। सब कुछ सही समय पर होना चाहिए, तभी मजा आता है। लेकिन इस कहानी में पहले विलेन एकदम ट्रैक पर है और फिर तुरंत विलेन को हीरो बना दिया जाता है। यह कहां का न्याय है वाईआरएफ वालों? संतुलन नाम की भी कोई चीज होती है, जो बनाने में निर्देशक भी फेल रहे।
2. अभिनय: जूनियर एनटीआर एक अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन इस फिल्म में वह बिल्कुल भी नहीं जमते। सच कहूं तो उन्होंने बहुत खराब एक्टिंग की है। एक सीक्वेंस है, जहां वह खून से लथपथ दोस्त की गोद में हैं। उनकी हालत खराब है और जीवन और मृत्यु के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन वहां एक्टिंग देखकर ऐसा लगता ही नहीं कि वह इस हालत में हैं। एक्सप्रेशंस लेस एक्टिंग, वह भी उस जगह जहां वह ऋतिक को पीछे छोड़ सकते थे।
3. विलेन: वह फिल्म में विलेन बने हैं, जो नाम के ही विलेन हैं। क्योंकि यह कहानी सिर्फ भाग रही है। जितना खूंखार उनकी इमेज बनाई गई है, उतने खूंखार वह एक्टिंग, एक्शन से खुद को साबित नहीं कर पाए। बहुत बड़ी परेशानी है कि वह दिल में दर्द लिए बैठे एक दोस्त उर्फ विलेन हैं। लेकिन कहानी इस तरह से उलझ गई कि न दोस्ती वाला सीक्वेंस ठीक से सामने आया और न ही विलेनगिरी वाला मामला खास सेट बैठा।
वाईआरएफ वालों के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या?
दरअसल वाईआरएफ वाले एमसीयू (मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स) वाले प्लान पर ही चलना चाहते हैं। जिसके लिए पूरे स्पाई यूनिवर्स से एक मेन विलेन चुनना होगा। जो अंत में इस यूनिवर्स के सभी हीरो से आमने-सामने भिड़ेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि जूनियर एनटीआर ही वह दीर्घकालिक निवेश हैं, जिनके साथ कई फिल्मों वाली डील हुई थी। लेकिन अब देखकर लगता है कि वाईआरएफ वालों अभी भी समय है, प्लान बदल डालो। क्योंकि यहां मामला गड़बड़ है और अगर जनता ने एक बार नकारा है, तो दोबारा भी ऐसा हो सकता है। फिर चाहे पठान, टाइगर हो या कोई और।