दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए हालिया blast के बाद, जहाँ 13 लोगों की जान गई और कई घायल हुए, अब फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कानूनी शिकंजा कसता दिख रहा है। दिल्ली पुलिस ने इस प्रतिष्ठित संस्थान के खिलाफ धोखाधड़ी और झूठे मान्यता दावों के आरोप में दो अलग-अलग FIR दर्ज की हैं। यह कदम यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) द्वारा गंभीर अनियमितताओं की जांच शुरू करने के बाद उठाया गया है।

दिल्ली क्राइम ब्रांच ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ पहली FIR जालसाजी (cheating) के संबंध में दर्ज की है, जबकि दूसरी FIR विश्वविद्यालय द्वारा किए गए कथित झूठे मान्यता (false accreditation) के दावों से जुड़ी है। पुलिस ने कहा, “दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज की हैं, एक धोखाधड़ी के लिए और दूसरी जालसाजी की धाराओं के तहत।” दिल्ली पुलिस की एक टीम ने ओखला स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी के कार्यालय का दौरा किया और संस्थान को नोटिस जारी कर कुछ आवश्यक दस्तावेज मांगे हैं।
NAAC ने विश्वविद्यालय को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता की जानकारी प्रदर्शित की है। NAAC ने पाया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी, जिसे न तो NAAC द्वारा मान्यता प्राप्त है और न ही उसने इसके लिए आवेदन किया है, अपनी वेबसाइट पर दावा कर रही है कि यह अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का एक प्रयास है जो तीन कॉलेजों का संचालन करता है: अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से, NAAC द्वारा ‘A’ ग्रेड प्राप्त), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (2008 से), और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से, NAAC द्वारा ‘A’ ग्रेड प्राप्त)। NAAC ने इसे “बिल्कुल गलत और जनता, विशेष रूप से माता-पिता, छात्रों और हितधारकों को गुमराह करने वाला” बताया है।
हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत स्थापित अल-फलाह यूनिवर्सिटी तब जांच के दायरे में आई जब दिल्ली blast से जुड़े तीन डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई और ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का खुलासा हुआ। अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कैसे यह विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया। मूल रूप से एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित, अल-फलाह यूनिवर्सिटी को 2013 में NAAC से ‘A’ श्रेणी की मान्यता मिली थी। एक साल बाद, हरियाणा सरकार ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया।






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