
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी ने दक्षिण दिल्ली के मदनपुर खादर में पांच मृत हिंदू भू-मालिकों के नाम पर जाली दस्तावेज तैयार करवाकर जमीन हड़प ली। जांच एजेंसी के अनुसार, खसरा नंबर 792 की यह जमीन सिद्दीकी के तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम पर एक जाली जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के आधार पर हस्तांतरित की गई थी।
यह मामला तब सुर्खियों में आया जब हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े तीन डॉक्टरों का नाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए एक विस्फोट में सामने आया, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई थी।
ED की जांच में पता चला है कि जिन लोगों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान GPA पर दिखाए गए हैं, उनमें से कई की मृत्यु 1972 और 1998 के बीच हो चुकी थी। इसके बावजूद, 7 जनवरी 2004 को उनके नाम पर संपत्ति हस्तांतरण के लिए एक GPA बनाया गया। जिन पांच व्यक्तियों के नामों का इस धोखाधड़ी में इस्तेमाल किया गया, वे थे:
– नाथू (मृत्यु 1972)
-हरबंस सिंह (मृत्यु 1991)
-हरकेश (मृत्यु 1993)
-शिव दयाल (मृत्यु 1998)
-जय राम (मृत्यु 1998)
जांच एजेंसी ने यह भी पाया कि इस फर्जी GPA के नौ साल बाद, 27 जून 2013 को एक पंजीकृत बिक्री विलेख (registered sale deed) तैयार किया गया। इस दस्तावेज में, विनोद कुमार नामक एक व्यक्ति ने सभी मालिकों की ओर से हस्ताक्षर करके 75 लाख रुपये मूल्य की जमीन तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन को बेची। ED का मानना है कि तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन इस पूरे फर्जीवाड़े का ‘अंतिम लाभार्थी’ है और अब इस मामले में संलिप्त अन्य लोगों की भी जांच की जा रही है।
अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी को ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) की धारा 19 के तहत गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी मेडिकल कॉलेज-सह-अस्पताल के ट्रस्टियों और प्रवर्तकों के खिलाफ की गई तलाशी के बाद हुई।





