प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि भारत अब आतंकी हमलों के बाद चुप बैठने वालों में से नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत अब सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी कार्रवाइयों के ज़रिये मुंहतोड़ जवाब देता है। दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि पिछले 11 सालों में भारत ने कई संकटों का सामना करते हुए ‘फ्रैजाइल फाइव’ (कमजोर अर्थव्यवस्था वाले पांच देशों) की श्रेणी से निकलकर दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि भारत की मुद्रास्फीति 2% से कम है और विकास दर 7% से ऊपर बनी हुई है।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि छोटे व्यवसायों से लेकर बड़े उद्योगों तक, भारत अब आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी है। उन्होंने कहा, “आतंकी हमलों के बाद, भारत निर्णायक रूप से सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के साथ जवाब देता है।” उन्होंने यह भी कहा कि जहां पिछली सरकारों ने मजबूरी में सुधार किए, वहीं उनकी सरकार ने दृढ़ संकल्प के साथ काम किया है और हर जोखिम को सुधार में बदला है।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में बोलते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि भारत ने हर सुधार को सुदृढ़ता (resilience) में बदला है और हर सुदृढ़ता को एक क्रांति में परिवर्तित किया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आज भारत को एक ‘अवरुद्ध’ देश के रूप में नहीं, बल्कि एक ‘अविराम’ (unstoppable) देश के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया जब विभिन्न बाधाओं और गति अवरोधकों का सामना कर रही है, तब भारत 140 करोड़ नागरिकों के साथ पूरी गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत ‘चिप्स से लेकर शिप’ तक, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरा है।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस शासन के दौरान बैंकों के राष्ट्रीयकरण को बैंकों के लिए ‘गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का पहाड़’ बनाने वाला कदम बताया। इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि वित्तीय और अन्य संस्थानों का लोकतंत्रीकरण ‘अविराम भारत’ के पीछे की एक प्रमुख शक्ति है। पीएम मोदी के अनुसार, लोग भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं और जब सरकार का कोई दबाव या हस्तक्षेप नहीं होता है, तो वे उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। भारत ने डिजिटल वित्तीय बुनियादी ढांचे के मामले में सभी को गलत साबित किया है। आज दुनिया भारत को एक विश्वसनीय, जिम्मेदार, सुदृढ़ भागीदार और अवसरों की भूमि के रूप में देखती है।