त्योहारी सीजन में बेंगलुरु की सड़कें, जो आम तौर पर जाम से जूझती हैं, अचानक सुनसान हो गई हैं। लाखों लोग दिवाली और दीपावली मनाने अपने गृह नगरों के लिए रवाना हो चुके हैं, जिससे भारत का यह प्रमुख तकनीकी केंद्र एक ‘भूतिया शहर’ में तब्दील हो गया है। पिछले हफ्ते जहाँ शहर चरम ट्रैफिक जाम से कराह रहा था, वहीं अब निवासी इसे ‘अविश्वसनीय रूप से शांत’ बता रहे हैं।
**जाम से राहत, यात्रियों के चेहरे खिले**
सड़कों पर अचानक आई इस शांति से उन कुछ लोगों को बड़ी राहत मिली है जो शहर में रह गए हैं। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने मज़ाक उड़ाते हुए लिखा, “लगता है बेंगलुरु का आधा शहर खाली है, इसलिए अब मैं 15 मिनट में इंदिरा नगर, 20 मिनट में एमजी रोड और एक घंटे में एयरपोर्ट पहुँच सकता हूँ।”
**प्रवासी शहर की सच्चाई**
एक अन्य ने इस घटना पर व्यंग्य कसते हुए कहा, “बेंगलुरु में मेरा क्या काम है? सड़कें खाली हैं। ऐसा लगता है कि बेंगलुरु के अलावा बाकी सब यहीं रहते हैं।” यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि बेंगलुरु की बड़ी आबादी प्रवासी है, जो त्योहारों पर अपने घर लौट जाती है।
**बड़े शहरों में भी यही हाल**
मुंबई, दिल्ली जैसे अन्य बड़े शहरों से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं, जहाँ त्योहारों के दौरान सन्नाटा छा जाता है। यह हाल के दिनों में देखे गए भयंकर ट्रैफिक जाम के बिल्कुल विपरीत है। कुछ दिनों पहले आउटर रिंग रोड पर 12 किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को दो घंटे लग रहे थे। अधिकारियों ने पहले ही शहर से बाहर निकलने वाले मुख्य रास्तों पर यात्रा की सलाह जारी कर दी थी, जिससे भारी भीड़ की उम्मीद थी।
**शहर की शांति का आनंद**
जो लोग शहर में रुके हैं, उनके लिए यह त्योहारी सप्ताहांत एक अनूठा अनुभव लेकर आया है। गाड़ियों के हॉर्न का शोर कम हो गया है और शहर की रफ्तार धीमी हो गई है, जो हमेशा की भागदौड़ से एक सुखद राहत प्रदान करता है।