
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली करारी हार के कारणों पर पार्टी ने गुरुवार को एक गहन समीक्षा बैठक आयोजित की। इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल शामिल थे, ने राज्य के प्रमुख नेताओं और चुनावी उम्मीदवारों के साथ मिलकर हार के पीछे के कारणों का विश्लेषण किया।
बैठक के दौरान, कई कांग्रेस उम्मीदवारों ने अपने विचार प्रस्तुत किए और पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए कई मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया। इनमें राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को दिए गए ₹10,000 के ‘तोहफे’, महागठबंधन में सीट बंटवारे में हुई देरी, आंतरिक कलह और “चुनावी कदाचार” जैसे प्रमुख कारण बताए गए।
वरिष्ठ नेता, जिनमें बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम, एआईसीसी बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह और तारिक अनवर, तथा पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी शामिल थे, ने चुनावी नतीजों की बारीकी से समीक्षा की।
केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद जानकारी देते हुए कहा कि उम्मीदवारों ने “स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन” (SIR) के माध्यम से लक्षित मतदाता विलोपन और संदिग्ध जोड़-तोड़, “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” (MMRY) के तहत मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए नकदी का अंधाधुंध इस्तेमाल, और समान मार्जिन से कई सीटों पर जीत का पैटर्न, जिसे एक स्वतंत्र चुनाव आयोग को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए था, जैसे मुद्दों को उठाया।
उन्होंने आगे कहा, “ये मुद्दे संगठित चुनावी कदाचार और आदर्श आचार संहिता के खुले उल्लंघन की ओर इशारा करते हैं, जो एक ऐसे चुनाव आयोग की देखरेख में हुए हैं जो लगातार भाजपा की चुनावी धांधली में सक्रिय सहयोगी की तरह व्यवहार कर रहा है।” वेणुगोपाल ने बिहार के चुनावी परिणाम को “चुराई हुई जीत” करार देते हुए कहा कि लोकतंत्र पर हमला हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी इस “चुराई हुई जीत” को सामान्य नहीं बनने देगी और भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए निडरता से लड़ती रहेगी।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से वह केवल छह सीटें ही जीत पाई।






