
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) और वोट चोरी का मुद्दा गरमाया हुआ है। कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर आरोप लगा रही है, जबकि चुनाव आयोग इन आरोपों का खंडन कर रहा है। SIR के दौरान बिहार की वोटर लिस्ट से लगभग 65 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन नामों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। चुनाव आयोग ने इन 65 लाख लोगों के नाम अब वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं। चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ये नाम जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर उपलब्ध करा दिए गए हैं। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्वाचक पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की मदद से मतदाता सूची तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नामों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। चुनाव आयोग को 56 घंटे के भीतर सभी हटाए गए नामों को वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया था। चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि वोटर लिस्ट प्रकाशित होने से पहले जनता को आपत्तियां दर्ज कराने के लिए एक महीने का समय दिया गया था, और अभी भी 15 दिन शेष हैं। जिन लोगों के नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे आधार कार्ड के माध्यम से अपना नाम सूची में जुड़वा सकते हैं।






