बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 27 प्रतिशत उम्मीदवार यानी 354 लोग गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। बिहार इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार, 33 उम्मीदवारों पर हत्या के गंभीर आरोप हैं, जबकि 86 पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं। 42 उम्मीदवार महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े हैं, और दो उम्मीदवारों ने तो बलात्कार के मामलों का भी खुलासा किया है।
यह स्थिति किसी एक पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि पार्टियों के बीच चिंताजनक प्रवृत्ति देखी जा रही है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) या CPI (M) का हर उम्मीदवार पहले चरण में गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है। वहीं, CPI के 80 प्रतिशत और CPI (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) या CPI (ML) के 64 प्रतिशत उम्मीदवार भी आपराधिक मामलों में फंसे हैं।
मुख्य पार्टियों में, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 60 प्रतिशत उम्मीदवार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 56 प्रतिशत उम्मीदवार गंभीर अपराधों के आरोपी हैं। कांग्रेस के 52 प्रतिशत, जनता दल (यूनाइटेड) या JD(U) के 26 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 प्रतिशत उम्मीदवार भी इसी श्रेणी में आते हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के 18 प्रतिशत उम्मीदवार पर आपराधिक मामले हैं, जबकि जन सुराज पार्टी के 43 प्रतिशत दावेदार गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।
संपत्ति के मामले में भी कई उम्मीदवार करोड़पति हैं। लगभग 40 प्रतिशत उम्मीदवारों की संपत्ति 1 करोड़ रुपये से अधिक है, जिनकी औसत घोषित संपत्ति 3.26 करोड़ रुपये है। हालांकि, महिला उम्मीदवारों की संख्या कुल दावेदारों का केवल 9 प्रतिशत है।





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