बिहार के भागलपुर जिले का एक व्यक्ति 21 साल बाद अपने परिवार से मिला, जिससे सभी की आंखें नम हो गईं। परिवार वालों ने बताया कि सोनू 2004 में परिवार से बिछड़ गया था। सोनू बुआ के घर पर रहता था और वहीं से गायब हो गया था। जिसके बाद उसे ढूंढने की कोशिश की गई, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। सोनू के लापता होने की सूचना पुलिस को दी गई। सोनू के गायब होने के बाद मां बहुत परेशान रहने लगी थीं, और इसी दुख में मां की मौत हो गई थी। आज सोनू हम लोगों के बीच है, सभी बहुत खुश हैं।
दरअसल, भागलपुर जिले के नवगछिया के पकड़ा गांव के रहने वाले हरिशंकर प्रसाद सिंह का बेटा सोनू कुमार उर्फ मनोज कप्तान अप्रैल 2004 में रक्सौल से गायब हो गया था। उस समय उसकी उम्र करीब आठ-नौ साल थी। सोनू बुआ निर्मला देवी के घर रक्सौल में रहता था। जिस दिन सोनू गायब हुआ, बुआ किसी रिश्तेदार के घर गई थीं। लौटने पर सोनू गायब था। बुआ ने उसके लापता होने की खबर दी, जिसके बाद पूरे परिवार में मातम छा गया। परिवार ने गांव-गांव, शहर-शहर और यहां तक कि नेपाल तक सोनू को ढूंढा, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। शुक्रवार की शाम इस परिवार की किस्मत ने अचानक करवट ली।
हरिशंकर को एक तस्वीर दिखाई गई और बताया गया कि उनका बेटा सोनू है और धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती है। हरिशंकर यह सुनकर सन्न रह गए। पूरा परिवार उम्मीद और घबराहट के साथ धनबाद के लिए रवाना हुआ, जब अस्पताल पहुंचा तो सोनू को पहचाना। बेटे को देखकर पिता हरिशंकर रो पड़े और सोनू को सीने से लगा लिया।
सोनू को उसके परिवार से मिलाने में अस्पताल कर्मी दीपक सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दीपक ने बताया कि गुरुवार की सुबह एक मरीज उसके सामने से घसीटता हुआ जा रहा था। इस दौरान उसने उसे रोककर पूछताछ की। उसने अपना नाम सोनू बताया। काफी याद करने के बाद उसने बताया कि वह भागलपुर के नवगछिया गांव का रहने वाला है। उसने यह भी बताया कि वह भूमिहार ब्राह्मण परिवार से है, लेकिन वह गांव का नाम नहीं बता सका। सोनू के बताने के बाद दीपक ने उसकी तस्वीर के साथ, उससे जुड़ी जानकारी भागलपुर में अपने रिश्तेदार को भेजी। सोशल मीडिया की मदद से दीपक के रिश्तेदार ने नवगछिया के कुछ भूमिहार ब्राह्मण परिवारों तक जानकारी पहुंचाई। रात में दीपक के पास सोनू के परिजनों का फोन आया और जानकारी ली। अगले दिन शाम को सोनू के परिजन अस्पताल पहुंचे।
बेटे की जुदाई का दर्द इतना गहरा था कि मां सदमे से दो साल पहले ही चल बसीं। परिवार के अनुसार, सोनू चार बच्चों में दूसरे नंबर का था। सोनू के गायब होने के बाद से पिता हरिशंकर प्रसाद सिंह भी टूट गए थे। वर्षों बीत गए और घर-आंगन से हंसी-खुशी लगभग गायब हो गई थी। बच्चे बड़े होते गए और उनकी अपनी गृहस्थी बनती चली गई। इन सबके बीच, चार बेटों में से एक बेटे के गायब होने का दर्द हरिशंकर के सीने में हमेशा उठता रहा।