
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहानाबाद जिले के बराबर क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान, मुख्यमंत्री ने वाणावर श्रावणी मेला में आए तीर्थयात्रियों से मुलाकात की। वाणावर पहाड़ी पर स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर में श्रावण मास के दौरान बड़ी संख्या में भक्तगण आते हैं।
मुख्यमंत्री ने श्रावणी मेला की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं और उन्हें पूजा करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया, जिन्होंने उनकी समस्याओं को सुना और जिलाधिकारी को उनके समाधान के लिए निर्देशित किया।
जहानाबाद में स्थित बराबर गुफाएं भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये गुफाएँ भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे पुरानी चट्टानों को काटकर बनाई गई संरचनाओं में से हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक और उनके उत्तराधिकारी दशरथ के शासनकाल के दौरान इन गुफाओं का निर्माण किया गया था, जो उस समय एक प्रभावशाली धार्मिक समूह, आजीवक संप्रदाय के भिक्षुओं के लिए बनाई गई थीं।
बराबर पहाड़ी में चार मुख्य गुफाएँ हैं: कर्ण चौपर, लोमस ऋषि, सुदामा और विश्वज्योति। सुदामा और लोमस ऋषि गुफाएँ अपनी वास्तुकला के लिए विशेष रूप से जानी जाती हैं। लोमस ऋषि गुफा का प्रवेश द्वार स्तूप और चैत्य शैली में बना है, जिसने बाद की बौद्ध वास्तुकला को प्रभावित किया। इन गुफाओं की एक खास विशेषता इसका अत्यंत पॉलिश किया हुआ आंतरिक भाग है, जो मौर्यकालीन पत्थर पॉलिशिंग तकनीक का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस तकनीक के कारण गुफाओं की दीवारें दर्पण की तरह चमकती हैं और ध्वनि का गूंज होती है, जिससे ये गुफाएँ ध्यान के लिए आदर्श स्थान बन जाती हैं।
बराबर गुफाएं न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं, बल्कि मौर्य काल की वास्तुकला की उत्कृष्टता का भी प्रमाण हैं। यह स्थान इतिहास, कला, धर्म और वास्तुकला में रुचि रखने वालों के लिए महत्वपूर्ण है।