राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर उनके हिंदी साहित्य में योगदान को याद किया गया। दिनकर उन प्रमुख रचनाकारों में से थे जिन्होंने अपनी कविताओं से आजादी से पहले अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई। रवींद्र रंजन ने दिनकर को भारत रत्न देने की मांग की और कहा कि उनकी रचनाओं में संघर्ष का शंखनाद है। उन्होंने यह भी कहा कि दिनकर को अब तक भारत रत्न नहीं दिया जाना चिंताजनक है। दिनकर को सर्वोच्च कवि बताते हुए, रंजन ने कहा कि उनकी रचनाएँ भारत की सभ्यता और संस्कृति को भविष्य की दिशा देती हैं। डॉ. प्रेम कुमार मणि ने कहा कि दिनकर की हर रचना कालजयी है।







