
बिहार में वोटर लिस्ट में हो रहे संशोधन (SIR) को लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्ष संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहा है और चिंताएं व्यक्त कर रहा है। चुनाव आयोग ने इस मामले में विपक्ष के रुख पर सीधे सवाल उठाते हुए संशोधन प्रक्रिया से जुड़े प्रासंगिक मुद्दों को उठाया है।
बिहार में SIR के पहले चरण का अंतिम डेटा जारी होने के बाद, राज्य में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.24 करोड़ है। इस अभ्यास में 65 लाख नामों को हटा दिया गया, जिनमें मृत व्यक्तियों, विस्थापित व्यक्तियों और विदेशी नागरिकों के नाम शामिल थे। विपक्ष के चल रहे विरोध के जवाब में, चुनाव आयोग ने तीन विशिष्ट प्रश्न उठाए हैं।
**चुनाव आयोग के विपक्ष से सवाल:**
1. क्या मृत व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाने चाहिए?
2. क्या किसी भी मतदाता को कई जगहों पर पंजीकृत होने की अनुमति दी जानी चाहिए?
3. क्या विदेशी नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाने चाहिए?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में संशोधन किया जा रहा है। विपक्ष ने इस संशोधन की कड़ी आलोचना की है, और कुछ ने इसे मतदाता दमन का एक रूप करार दिया है। 24 जुलाई को, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष की स्थिति पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या चुनाव आयोग को ‘लोकतंत्र की हत्या’ की अनुमति देनी चाहिए।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बिहार मतदाता सूची से मृत मतदाताओं को हटाने पर भी विशेष रूप से बात की। उन्होंने पूछा कि क्या आयोग को मृत मतदाताओं, राज्य से बाहर चले गए लोगों और धोखेबाज मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने विपक्ष से यह भी पूछा कि क्या मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाना एक अनुचित कार्रवाई थी और क्या विदेशी मतदाताओं को वोट देने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और एक मजबूत लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक पारदर्शी रूप से तैयार मतदाता सूची महत्वपूर्ण है। उन्होंने विपक्ष से आग्रह किया कि वे इन सवालों पर सावधानीपूर्वक विचार करें, और पक्षपातपूर्ण राजनीति से हटकर सोचें।
**एसआईआर पर विपक्ष की प्रतिक्रिया:**
आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव एसआईआर प्रक्रिया के प्रमुख आलोचक रहे हैं, और उन्होंने बिहार विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बिहार के किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाना चाहिए। वोटर लिस्ट संशोधन का मुद्दा अब राष्ट्रव्यापी ध्यान आकर्षित कर चुका है, और विपक्ष संसद के चल रहे मानसून सत्र के दौरान अपना विरोध जारी रखे हुए है।