बिहार के पटना में खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने पुराने आलू को केमिकल और गेरुआ मिट्टी से नया बनाकर बेचने का एक बड़ा घोटाला पकड़ा है। मीठापुर और मीना बाजार मंडियों में छापेमारी के दौरान, अधिकारियों ने भारी मात्रा में ऐसे आलू जब्त किए जो छत्तीसगढ़ से ट्रकों में लाए जाते थे। जांच में पता चला है कि व्यापारी पुराने आलू को केमिकल और मिट्टी लगाकर ताज़ा दिखाते थे, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था। फूड सेफ्टी ऑफिसर अजय कुमार ने बताया कि यह गोरखधंधा सुबह-सुबह ट्रकों से आलू मंगवाकर किया जा रहा था, जिन्हें स्थानीय व्यापारी खरीदकर मोहल्लों में बेचते थे। जब्त किए गए आलू की जांच के लिए उन्हें लैब भेजा गया है। इन आलूओं में केमिकल की गंध आती है और वे पानी में डूबते नहीं हैं, जो इनकी पहचान का एक तरीका है। छापेमारी के दौरान कई व्यापारी फरार हो गए, जिनकी तलाश जारी है। यह भी पता चला है कि यह गोरखधंधा काफी मुनाफे वाला था, क्योंकि व्यापारी 20-25 रुपये किलो में आलू खरीदकर 70-75 रुपये किलो में बेच रहे थे। विशेषज्ञों के अनुसार, इन आलूओं में मौजूद केमिकल लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है, और इनके सेवन से कब्ज, सूजन और भूख न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पटना में नकली आलू का भंडाफोड़: पुराने आलू को केमिकल से बनाया जा रहा था नया
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