बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया में रेलवे के खिलाफ वन विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई की है, जो चूजों की मौत के कारण हुई। वन विभाग ने इसे रेलवे की असंवेदनशीलता बताया है। नवगछिया रेलवे स्टेशन पर सौंदर्यीकरण के नाम पर प्लेटफॉर्म संख्या-1 पर स्थित वर्षों पुराने पाकड़ के एक पेड़ को रेलवे ने कटवा दिया। इस पेड़ पर लंबे समय से लिटिल कॉर्मोरेंट और लिटिल एग्रेट प्रजाति के पक्षियों का एक विशाल घोंसला था। पेड़ काटने के बाद, सैकड़ों नन्हे चूज़े ज़मीन पर गिरकर तड़पने लगे, जिनमें से दर्जनों की मौत हो गई। कई घायल अवस्था में तड़पते रहे। यह दृश्य इतना भयानक था कि स्टेशन पर मौजूद लोग स्तब्ध रह गए। अब इस मामले में रेल अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
मामले की सूचना भागलपुर के डीएफओ को दी गई, जिसके बाद वन विभाग के रेंज ऑफिसर घटनास्थल पर पहुंचे और सभी बचे हुए चूज़ों को रेस्क्यू करके सुंदरवन ले जाया गया, जहां उनका इलाज किया जा रहा है। मृत पक्षियों और उनके बच्चों का भागलपुर में पोस्टमार्टम कराया गया। एक तरफ सरकार पक्षियों और जैव विविधता की रक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे जैसी बड़ी संस्था की लापरवाही ने पक्षियों का पूरा आवास नष्ट कर दिया।
भागलपुर की डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर श्वेता कुमारी ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि नवगछिया रेलवे स्टेशन पर पेड़ों की छंटाई के मामले में अज्ञात रेल अधिकारियों के खिलाफ वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह कार्रवाई वनरक्षी सोनी कुमारी के आवेदन पर की गई है। डीएफओ ने कहा कि अगर रेल विभाग को पेड़ों की छंटाई करनी ही थी, तो पक्षियों के घोंसले वाले हिस्से को छोड़कर कार्य करना चाहिए था, ताकि अंडों, बच्चों और पक्षियों को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने कहा कि विभाग इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगा।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल पक्षियों के घोंसले का विनाश नहीं, बल्कि प्रकृति की हत्या है। अगर समय पर वन विभाग हस्तक्षेप नहीं करता, तो शायद एक भी चूजा जीवित नहीं बच पाता। पाकड़ का पेड़ काटने से पक्षियों के घोंसले टूटने से पनडुब्बी कौवे और बगुले के चूजों की मौत हुई। रेल प्रशासन ने कहा है कि पाकड़ के पेड़ की कटाई मजबूरी में की गई, लेकिन इससे पक्षियों को नुकसान हुआ है और वे इस मामले को गंभीरता से देख रहे हैं।